पानी के लिए मास्टर प्लान और मौजूदा परिस्थितियों के अनुरूप जलनीति नहीं होने से भूजल दोहन, पीने के स्वच्छ पानी की उपलब्धता और भूजल रिचार्ज जैसे विषय आम आदमी के जीवन का हिस्सा ही नहीं बन पाए हैं। उधर, वैज्ञानिक स्पष्ट कर चुके कि खाद्यान्न की पोषकता घट रही है। जलवायु परिवर्तन, खाद्यान्न में घटती पोषकता और खाली होते पानी के खजाने जैसे विषयों को लेकर दुनियाभर में चिंता है, लेकिन प्रदेश में चिंतन शुरूआती दौर में है। पिछले साल प्रदेश में अन्तरराष्ट्रीय स्तर की एजेंसियों के साथ मिलकर खाद्यान्न सुरक्षा को लेकर एक रिपोर्ट भी तैयार हुई, लेकिन कृषि और खाद्यान्न क्षेत्र में कमजोरी की पोल खुलने के डर से सरकार ने इस पर खुलकर चर्चा तक नहीं की।
बचा रहे पानी, पर ये प्रयास काफी नहीं
माइक्रो इरीगेशन स्कीम बनाई जा रही है, ताकि पानी की छीजत घटा कर खेती बढ़ाई जा सके फव्वारा सिंचाई पद्धति से 30 से 40 प्रतिशत पानी की बचत ड्रिप सिंचाई पद्धति से भी पानी का अपव्यय रुकता है वाटरगन से कम समय में खेत में सिंचाई