दरअसल, करीब 10 साल पूर्व बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन लियाकत अली खान के समय बड़े स्तर प्रदेशभर में वक्फ जायदादों के संरक्षण और विकास के लिए कमेटियां बनाई गई थीं। जो अब तक कार्यरत हैं। जानकारी के मुताबिक बोर्ड की बड़ी संख्या में कमेटियां ऐसी हैं जो 10 से 15 साल पहले बनाई गई थीं। हालांकि साल 2016 में तत्कालीन चेयरमैन अबुबकर नकवी ने कुछ नई कमेटियों का गठन जरूर किया, लेकिन पुरानी कमेटियों को नहीं बदला गया। इस लम्बे अरसे के दौरान अधिकतर कमेटियों में किसी न किसी पदाधिकारी या सदस्यों की मौत हो चुकी है और उनका पद भी खाली है।
कार्यकाल को लेकर नियम बनाने की जरूरत वक्फ बोर्ड जब कमेटियों का गठन करता है तब इनकी नियु क्ति के साथ इनके कार्यकाल की समय सीमा निर्धारित नहीं करता। ऐसे में बोर्ड बदल जाने के बाद भी कमेटियों का वजूद बना रहता है। वक्फ बोर्ड के पूर्व सदस्य और एडवोकेट नासिर अली नकवी का कहना है कि कमेटियों के कार्यकाल को लेकर समयसीमा तय नहीं है, इससे संबंधित स्पष्ट नियम बनाने की जरूरत है।
-कमेटियों का कार्यकाल निश्चित समयसीमा के साथ तय होना चाहिए, भले ही बाद में उसे फिर से बढ़ाया जाए। 10-15 सालों तक एक ही कमेटी का काबिज होना सरासर गलत है। इसके अलावा तौलियत (हमेशा के लिए) कमेटी पर पूरी तरह से रोक लगनी चाहिए।
हाजी अनवर शाह
सह संयोजक, मुस्लिम प्रोग्रेसिव फेडरेशन
-बोर्ड को बड़ी संख्या में विभिन्न कमेटियों के खिलाफ वक्फ जायदाद बेचने समेत अन्य आरोप मिले हैं। कई मामलों में तो मैं खुद मौके पर जाकर छानबीन कर रहा हूं। काफी मामलों में जांच भी चल रही है। जल्द ही ऐसी कमेटियों को भंग किया जाएगा और नई कमेटियों का गठन होगा।
सह संयोजक, मुस्लिम प्रोग्रेसिव फेडरेशन
-बोर्ड को बड़ी संख्या में विभिन्न कमेटियों के खिलाफ वक्फ जायदाद बेचने समेत अन्य आरोप मिले हैं। कई मामलों में तो मैं खुद मौके पर जाकर छानबीन कर रहा हूं। काफी मामलों में जांच भी चल रही है। जल्द ही ऐसी कमेटियों को भंग किया जाएगा और नई कमेटियों का गठन होगा।
खानुखान बुधवाली
चेयरमैन, राजस्थान वक्फ बोर्ड
चेयरमैन, राजस्थान वक्फ बोर्ड