यूं होता है आवंटन
सरकार ने नजूल संपत्तियों के आवंटन का नियम बना रखा है। नजूल निस्तारण नियम के तहत ऐसी सम्पत्तियों को किराएदार, कब्जेधारी और शरणार्थी को विक्रय करने का प्रावधान है। ऐसी नजूल भूमि पहले नगरीय निकायों को स्थानांतरित होगी। इसके बाद संबंधित काबिज व्यक्ति को निर्धारित दर पर दी जाएगी। इनका आवंटन डीएलसी दर के 20 से 50 प्रतिशत दर पर हो सकेगा।
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यूं बने हैं नियम
—वर्ष 1971 में तत्कालीन सरकार ने नजूल सम्पत्तियों के डिस्पोजल के लिए नियम बनाए। जिसके तहत सम्पत्ति को नीलामी के माध्यम से बेचने का निर्णय किया गया। मगर संपत्तियों की नीलामी नहीं हो सकी
—इसके बाद राज्य सरकार द्वारा 3 फरवरी 1977 को जी-शिड्यूल जोड़ते हुए 4 सूत्रीय फार्मूला बनाया। सरकार ने नियम बनाने के लिए एक अपेक्स कमेटी का गठन किया।
—कमेटी ने 6 जनवरी 1982 को निर्णय किया कि वर्तमान कब्जेधारियों को सम्पत्ति की वर्तमान कीमत के अनुसार विक्राय किया जाना उचित होगा लेकिन इस निर्णय की सूचना अधिकांश कब्जेधारियों को नहीं मिली।
—वर्ष 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इस नजूल सम्पत्तियों के वर्तमान कब्जेधारियों के मालिकाना हक के लिए उप मंत्रीमंडलीय समिति का गठन किया लेकिन यह कमेटी भी कुछ नहीं कर पाई।