मां स्कंदमाता की पूजा से हर इच्छा पूरी होती है। ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि मां स्कंदमाता को जहां अग्नि देवी के रूप में भी पूजा जाता है वहीं वे ममता की भी प्रतीक हैं। स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं। यही कारण है कि इनका प्रभामंडल सूर्य के समान अलौकिक तेजोमय दिखाई देता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार देवी स्कंदमाता की चार भुजा हैं। मां के दो हाथों में कमल पुष्प हैं और एक हाथ में बालरूप में भगवान कार्तिकेय हैं। मां का एक हाथ वरमुद्रा में है।मां स्कंदमाता कमल पर विराजमान हैं। इनका वर्ण पूर्णतः शुभ्र है. इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। सिंह भी इनका वाहन है।
स्नान आदि से निवृत होकर स्कंदमाता का विधिविधान से पूजन करें। स्कंदमाता को अक्षत्, धूप, गंध, पुष्प, बताशा, पान, सुपारी, लौंग का जोड़ा, किसमिस, कमलगट्टा, कपूर, गूगल, इलायची आदि चढ़ाएं। फिर स्कंदमाता की आरती करें। स्कंदमाता की पूजा करने से भगवान कार्तिकेय भी प्रसन्न होते हैं। इनकी उपासना सुख व ऐश्वर्यदायक है।
श्लोक—स्तुति
1.
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया |
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी || 2.
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
हिंदी भावार्थ : हे मां! आप सर्वत्र विराजमान हैं. स्कंदमाता के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बारंबार प्रणाम है या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूं।
1.
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया |
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी || 2.
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
हिंदी भावार्थ : हे मां! आप सर्वत्र विराजमान हैं. स्कंदमाता के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बारंबार प्रणाम है या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूं।