जयपुर

Navratri 2022 : मां चंद्रघंटा की पूजा से पूरी होगी हर मनोकामना, दर्शन मात्र से भक्तों को प्राप्त होते हैं आशीर्वाद

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को देवी चंद्रघंटा की पूजा होती है। मां चंद्रघंटा को दुर्गा की नौ शक्तियों का तीसरा रूप माना जाता है। देवी का यह रूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। नवरात्रि उपासना में तीसरे दिन की पूजा का अत्यधिक महत्व है और इस दिन इन्हीं के विग्रह के रूप की -पूजा की जाती है।

जयपुरSep 28, 2022 / 12:26 pm

Kamlesh Sharma

नूपुर शर्मा
जयपुर . आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को देवी चंद्रघंटा की पूजा होती है। मां चंद्रघंटा को दुर्गा की नौ शक्तियों का तीसरा रूप माना जाता है। देवी का यह रूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। नवरात्रि उपासना में तीसरे दिन की पूजा का अत्यधिक महत्व है और इस दिन इन्हीं के विग्रह के रूप की -पूजा की जाती है। मां दुर्गा का यह रूप बहुत ही सुंदर, मोहक और रहस्यमयी है। देवी के शीर्ष पर आधे घंटे के आकार का आधा चाँद है। इसलिए इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा।



माँ का वर्णन

माता अपने प्रिय वाहन सिंह पर विराजमान हैं। उनके दस हाथों में बायां हाथ अभय मुद्रा में है, साथ में एक खड़क, त्रिशूल, गदा, तलवार, कमल का फूल, तीर, धनुष, जप माला और कमंडल है। इनके शस्त्रों से यह माना जाता है कि इसे शक्ति और समृद्धि का प्रतीक माना जाते है। मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक के सभी पाप और विघ्न नष्ट हो जाते हैं। मां का रूप कोमलता और शांति से भरा हुआ है।

विवाह उपरान्त देवी पार्वती को मां चंद्रघंटा के नाम से पुकारा गया

माँ के मस्तक में एक घंटे के आकार का अर्धचंद्राकार है। शास्त्रों के अनुसार यह देवी पार्वती का विवाहित रूप है। भगवान शिव से विवाह करने के बाद, देवी महागौरी ने अपने माथे को अर्धचंद्र से सजाना शुरू कर दिया और जिसके कारण देवी पार्वती को देवी चंद्रघंटा के रूप में जाना जाता है। उन्होंने माथे पर अर्धवृत्ताकार चंद्रमा धारण किया हुआ है। यह आधा चंद्रमा उनके माथे पर घंटे की तरह दिखाई देता है, इसलिए माता के इस रूप को माता चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है।

भक्तों का मानना है कि पूजा करने से मां प्रसन्न होती है और सभी दुखों का नाश करती है। इसके साथ ही भक्तों में साहस और निर्भयता के साथ-साथ कोमलता और बुद्धि का विकास होता है और चेहरे, आंखों और पूरे शरीर में तेज की वृद्धि होती है। माता चंद्रघंटा को सूर्य की आभा के समान रंग प्रिय है। पूजा के समय मां के साथ भक्तों को भी इस रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए।

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मां चंद्रघंटा का प्रसिद्ध मंदिर

मां चंद्रघंटा का एक मात्र मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में स्थित है। जहां मां दुर्गा के सभी नौ रूपों को एक साथ देखा जा सकता है। इस मंदिर में भक्तों की गहरी आस्था है। पुराणों में इस मंदिर का उल्लेख मिलता है। यहां मां दुर्गा देवी चंद्रघंटा के रूप में विराजमान हैं। लोगों का मानना है की सभी देवियों के एक साथ दर्शन करने से ऐश्वर्य और समृद्धि के साथ सुखी दांपत्य जीवन की प्राप्त करने का आशीर्वाद मिलता है। विवाह में आ रही समस्याएं भी दूर हो जाती है।
शास्त्रों के अनुसार जो भक्त मां की पूजा करते हैं। वो दुनिया में कीर्ति और सम्मान की प्राप्ति करते है। देवी के शरीर का तेज स्वर्ण के समान चमकीला है। जिसे अत्याचारी दानव, राक्षस सभी बहुत डरते है। इस रूप के दर्शन करने से संतों, देवताओं और भक्तों के मन को संतोष मिलता है। मां की कृपा से समस्त पाप और बाधाएं मिट जाती हैं।

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डिस्केलमर – यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित है पत्रिका इस बारे में कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।

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