जयपुर

नासा ने की नए मून मिशन आर्टेमिस की घोषणा

NASA : पहले महिला और फिर पुरुष को उतारेगा चांद पर

जयपुरJul 22, 2019 / 11:48 pm

Nitin Sharma

NASA

जयपुर । दुनिया इस साल मानव के चांद पर कदम रखने की 50वीं वर्षगांठ मना रही है। भारत ने भी सोमवार को अपने चंद्रयान 2 मिशन की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग की है। इस बीच अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने कहा कि वह एक नए मिशन के तहत पहले महिला और उसके बाद पुरुष को चांद की सतह पर उतारेगा। इस कार्यक्रम को आर्टेमिस (Artemis) नाम दिया गया है, जो अपोलो की जुड़वां बहनें मानी जाती हैं। यह चंद्रमा और आखेट (शिकार) की देवी का नाम भी है। एजेंसी की मानें तो उसका स्पेस कार्यक्रम आर्टेमिस (Artemis) उसके मंगल मिशन में बेहद अहम भूमिका निभाएगा। नासा ने कहा कि मंगल पर हमारा रास्ता आर्टेमिस बनाएगा। नया आर्टेमिस मिशन अपोलो कार्यक्रम से साहसिक प्रेरणा लेकर अपना रास्ता तय करेगा।
अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा के उन क्षेत्रों का पता लगाएंगे, जहां पहले कोई भी नहीं गया है। वे ब्रह्मांड के रहस्यों को खोलते हुए उस तकनीक का भी परीक्षण करेंगे, जो सौरमंडल में मनुष्य की सीमाओं को विस्तार देगी। एजेंसी ने कहा कि चांद (MOON) की सतह पर हम पानी, बर्फ और अन्य प्राकृतिक संसाधनों का पता लगाएंगे, जिससे भविष्य में अंतरिक्ष की और आगे तक की यात्रा संभव हो सके। चंद्रमा के बाद मनुष्य की अगली बड़ी उपलब्धि मंगल ग्रह होगी। चंद्रमा पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी साल 2024 में होगी। इस कार्यक्रम पर लगभग 30 अरब डॉलर का खर्च आएगा। इसी के साथ स्पेसफ्लाइट अपोलो-11 की कीमत भी करीब इतनी ही होगी। अमेरिका द्वारा 1961 में शुरू कर 1972 में समाप्त किए गए अपोलो कार्यक्रम की लागत 25 अरब डॉलर थी।
दोनों अभियानों में अंतर

अपोलो-11 मिशन के तहत 50 साल पहले दो अंतरिक्ष यात्री चांद की सतह पर उतरे थे। इस मिशन पर उस समय लागत छह अरब डॉलर आई थी, जो इस समय 30 अरब डॉलर के बराबर है। नासा (NASA) के प्रशासक जिम ब्रिडेनस्टाइन के अनुसार अपोलो कार्यक्रम और आर्टेमिस (Artemis) के बीच मुख्य अंतर यह है कि पहले जहां चांद की सतह पर महज मौजूदगी दर्ज कराई गई थी, वहीं अब वहां एक स्थाई मानव उपस्थिति होगी। इस कार्यक्रम में 2020 में चंद्रमा के आस-पास एक मानवरहित मिशन काम करेगा, जबकि इसके दो साल बाद एक मानवयुक्त मिशन के तहत चंद्रमा की परिक्रमा की जाएगी। अगले चंद्र मिशनों को स्पेस लॉन्च सिस्टम द्वारा अंतरिक्ष में पहुंचाया जाएगा। रॉकेट को नासा और बोइंग द्वारा विकसित किया जा रहा है, जो पूरा बनने के बाद सबसे बड़ा रॉकेट होगा। नासा (NASA) की योजनाओं के अनुसार साल 2022 और 2024 के बीच के पांच मिशनों को निजी कंपनियों द्वारा संचालित किया जाएगा।

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