वहीं, आज हम ऐसे ही 27 साल पुराने एक कांड की बात कर रहे हैं, जिसकी गूंज भी दिल्ली तक सुनाई दी थी। जब तत्कालीन सिंचाई मंत्री ने आइएएस अफसर को बुलाकर ठेका कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने पर मारपीट की थी। मंत्री थे राजस्थान के तत्कालीन सिंचाई मंत्री देवी सिंह भाटी और सचिव थे आइएएस अफसर पीके देब। इस घटना को लेकर अशोक नगर थाने में 6 दिसंबर 1997 में मामला दर्ज हुआ था। इस कांड के बाद जांच सीआइडी सीबी को सौंपी गई थी। अब नरेश मीणा थप्पड़ कांड के बाद इस घटना की यादें फिर से ताजा हो गई हैं।
क्या था पूरा मामला?
तकरीबन 27 साल पहले सचिव रहते हुए आइएएस अधिकारी पीके देब ने भारती कंस्ट्रक्शन कंपनी को ब्लैकलिस्टेड कर दिया था। जिसको लेकर तत्कालीन सिचाई मंत्री देवी सिंह भाटी से देब का विवाद हो गया था और भाटी पर आरोप है कि उन्होनें चैंबर में बुलाकर देब से मारपीट की। ऐसा भी कहा जाता है कि देब के भाटी ने थप्पड़ मार दिया था। यह भी पढ़ें
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मामला ठंडे बस्ते में
नियमानुसार किसी भी विधायक, सांसद या मंत्री के खिलाफ जब आपराधिक मामला दर्ज होता है, निष्पक्ष और जल्द जांच के लिए सीआइडी सीबी में भेज दिया जाता है। लेकिन यह मामला भी अभी सीआइडी सीबी में जाकर ठंडे बस्ते में ही पड़ा है। इसी तरह प्रहलाद गुंजल, किरोड़ीलाल मीणा सहित कई विधायक और पूर्व मंत्रियों के खिलाफ मामले सीआइडी सीबी में जांच के लिए पड़े हुए हैं।मानवाधिकार आयोग ने लिया था संज्ञान
सीआइडी सीबी में जांच के नाम पर मामले लटकाए रखने पर लोकायुक्त भी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं तो मानवाधिकार आयोग ने भी इस पर संज्ञान लिया था। जिसमें सालों साल मामले लटकाए रखने को मानवाधिकार का हनन माना था। यह भी पढ़ें
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नरेश मीणा का पूरा थप्पड़ कांड
गौरतलब है कि बुधवार को राजस्थान की देवली-उनियारा विधानसभा सीट पर उपचुनाव के दौरान कांग्रेस से बागी होकर चुनाव लड़ रहे निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ जड़ दिया था। इस थप्पड़ कांड के बाद नरेश मीणा फरार हो गया था। इसके बाद गुरूवार को पुलिस ने नरेश मीणा को गिरफ्तार कर लिया था। वहीं, नरेश मीणा की गिरफ्तारी के बाद गुरूवार को भी उसके समर्थक उग्र हो गए और पथराव, आगजनी और तोड़फोड़ की। इस दौरान कई पत्रकारों के साथ भी मारपीट की गई थी। वहीं, इस घटना के बाद SDM अमित कुमार ने नरेश मीणा पर FIR दर्ज करवाई है। इसके बाद शक्रवार शाम नरेश मीणा को टोंक जिले के निवाई कोर्ट में वीसी के जरिए पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।