शहर की विरासत जितनी पुरानी होती है, उतनी ही उसके वर्तमान व भविष्य की चिंता भी जरुरी है। तीन साल बाद जब हमारा शहर तीन सौ साल का होगा तब तक हमारी पहचान में कई और सितारे लग जाएंगे। हमारी पहचान, भविष्य की कल्पनाओं के साथ-साथ शहर की खूबसूरती बनी रही, इसके लिए आज से ही शहर के सौन्दर्य पर पूरा ध्यान रखना होगा। जयपुर शहर भले ही कितना विशाल हो जाए, कितनी भी उन्नति कर लें, लेकिन परकोटे में बसी विरासत, संस्कृति जिंदा रहे। इसके लिए आज से ही एक नई शुरूआत भी की जा सकती है। परकोटा ही जयपुर की जान है, शान है और एक पहचान है। इसे “जीवित” रखने का संकल्प हमें लेना होगा। अतिक्रमण परकोटे की पहचान बिगाड़ रहे हैं। बेतरतीब ट्रेफिक हमारी शान खराब रहा है। बिखरी हुई गंदगी हमारी विश्व विरासत की पहचान को धूमिल कर रहा है। हमारी पहचान को ये बिगाडऩे पर तुले हैं। इनका समाधान हो जाए तो तीन नहीं बल्कि कई शताब्दियों के बाद भी “जयपुर की पहचान” जिंदा रहेगी।