जयपुर

Rajasthan : शहरी सरकार देती रही बहुमंजिला इमारतों की मंजूरी, CS से लेकर प्रमुख सचिव बनते रहे अवमानना के भागीदार

हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना से बचने के लिए अधिकारियों ने कागजी आदेश निकाल समय-समय पर बिल्डिंग बायलॉज में संशोधन किया और सरकार खुद अलग से आदेश निकाल कर कहती रही कि जोन तय किए बिना बहुमंजिला इमारत को स्वीकृति नहीं दी जाए।

जयपुरMay 17, 2024 / 08:27 am

Anil Prajapat

जयपुर। अवमानना से बचने के लिए शहरी सरकार के अधिकारी कागजों में हाईकोर्ट के आदेश की पालना का हवाला देकर बहुमंजिला इमारतों को मंजूरी देते रहे, लेकिन अधिकारियों ने खुद जोनल प्लान तैयार करने की अपनी जिम्मेदारी को भुला दिया। नगरीय विकास विभाग के प्रमुख सचिव से लेकर मुख्य सचिव तक इसे अनदेखा करते रहे, जिससे इस खेल में आम आदमी फंस गया। इस पर नगर नियोजन विशेषज्ञों का कहना है कि बिना जोन तय किए मंजूरी नहीं दें और कानूनविदों की नजर में अब अवमानना की कार्यवाही जरूरी है।
हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना से बचने के लिए अधिकारियों ने कागजी आदेश निकाल समय-समय पर बिल्डिंग बायलॉज में संशोधन किया और सरकार खुद अलग से आदेश निकाल कर कहती रही कि जोन तय किए बिना बहुमंजिला इमारत को स्वीकृति नहीं दी जाए। इसके बावजूद बिना जोन तय किए पिछले 4 साल में प्रदेश में 350 से अधिक बहुमंजिला इमारतों को मंजूरी दी गई। मंजूरी देखकर लोगों ने बहुमंजिला इमारतों में फ्लैट बुक कराए, लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो हाईकोर्ट के आदेश की पालना किए बिना दी गई यह मंजूरी ही अवैध थी।

अधिकारी इस तरह करते रहे अवमानना

हाईकोर्ट ने कहा था- मास्टर प्लान मामले में 12 जनवरी 2017 को दिए विस्तृत आदेश में हाईकोर्ट ने कहा था कि वर्टिकल डवलपमेंट सुनियोजित हो। शहरों में बहुमंजिला इमारतों के लिए जोनल डवलपमेंट प्लान या मास्टर प्लान में स्थान चिन्हित किया जाएं। मौजूदा कॉलोनियों में वहां रहने वालों के अधिकारों पर विपरीत असर पड़े तो ऐसी इमारतों की स्वीकृति नहीं दी जाए।
बचने की कागजी कोशिश- नगरीय विकास विभाग ने 12 नवम्बर,2020 को बिल्डिंग बायलॉज जारी किए, जिसमें लिखा कि बहुमंजिला निर्माण की स्वीकृति चिन्हित जोन एरिया में दी जाएगी।

सरकार ने यह कहा था- राज्य सरकार की ओर से 20 जनवरी 2020 को जारी आदेश में कहा कि जनता के हक के विपरीत कॉलोनियों में मल्टीस्टोरी निर्माण की स्वीकृति नहीं दी जाए। मल्टीस्टोरी निर्माण के लिए अलग जाेन चिन्हित किए जाएं।

ये हैं जिम्मेदार (मास्टर प्लान मामले में हाईकोर्ट के आदेश के बाद रहे अफसर)…

इन्होंने संभाला स्वायत्त शासन सचिव पद
-नवीन महाजन
-सिद्धार्थ महाजन
-भवानी सिंह देथा
-जोगाराम
-महेश चंद्र शर्मा
-के.सी. मीना

ये रहे नगरीय विकास विभाग के प्रशासनिक मुखिया
-पी.के. गोयल
-भास्कर सावंत
-कुंजीलाल मीना
-टी. रविकांत

इनके अलावा मंजूरी देने वाले शहरी निकायों के मुखिया भी अवमानना के दायरे में आते हैं।

जानिए किसने क्या कहा

जहां बढ़ती जनसंख्या के कारण मल्टीस्टोरी जरूरी है, वहीं यह भी जरूरी है कि उस क्षेत्र के आस-पास के स्वरूप को देखते हुए ही बहुमंजिला इमारतों को अनुमति दी जाए। बहुमंजिली इमारतों के लिए भवन विनियम बने हुए हैं। इनके लिए एनबीसी की गाइडलाइन को भी फॉलो करना चाहिए। हर क्षेत्र में बहुमंजिला इमारतों को मंजूरी नहीं दी जाए। मास्टर प्लान अनुमोदन के बाद जोनल प्लान बनना चाहिए। बहुमंजिला इमारतों का जोन क्षेत्र निर्धारित कर बिल्डिंग प्लान तैयार हो। हाईकोर्ट ने कहा कि मास्टर प्लान-जोनल प्लान के अनुरूप ही निर्माण की स्वीकृति दी जाए, ताकि निर्धारित मानदंड की बहुमंजिली इमारतें बन सकें और शहर का सुनियोजित विकास हो सके। आम नागरिकों को असुविधा भी नहीं हो।
-एचएस संचेती, पूर्व मुख्य नगर नियोजक
जयपुर में कलक्ट्रेट के पास एक बहुमंजिला निर्माण की शिकायत की, यह निर्माण कलक्टर की नाक के नीचे होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। मास्टर प्लान के विपरीत हुए सभी बहुमंजिला निर्माण सीधे तौर पर अवमानना है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जयपुर के लिए बनी हमारी एम्पॉवर्ड कमेटी ने अधिकारियों को चिट्ठी लिखकर साफ तौर पर कहा था कि जो नॉर्म्स हैं, उनसे समझौता नहीं किया जा सकता।
-वीएस दवे, पूर्व न्यायाधीश, राजस्थान हाईकोर्ट

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