ये हैं छोटे-बड़े बांध
– अलवर- जयसमंद, घामरेड, घाटपिक
– भरतपुर- बारेठा, सिकारी, अजन लोअर, अजन अपर,
– बूंदी- चाकन
– दौसा- मोरल, सैंथलसागर, सिनोली, झिलमिल, गेताेलाव, चंदराना, भंडारी, माधोसागर, जगरामपुरा, बिनाेरीसागर, राहुवास, सिंथौली
– गंगापुरसिटी- फतेसागर, महसवा, विशनसमंद, मोहनपुरा, रायसाना, रौंनसी, नाजीमवाला कुजेला, बोनी, चंदापुरा, बनियावाला, मोतीसागर, टोक्सी, तेलनवाला, नयातालाब सिरोली, नयातालाब सेवा, कांदिप, जेवाली, डोब, खिदारपुर, जौहरीवाला, रामतालाब
– करौली- जलसेन, जटवाडा, कायराडा, कालीसिल, पांचना, जग्गर
– धौलपुर- पार्वती, रामसागर, तालाबशाही, उर्मिलासागर
– जयपुर- रामगढ़ बांध, कालख, कानोता, छापरवाड़ा
– सवाईमाधोपुर- मूई, पांचोलास, सुरवाल, धील, मोरसागर, आकोदिया, नागतलाई, गंदाल, लिवाली, नागोलाव, गुडाला, सौभागसागर, रानीला, पिपलाई, ईसरदा
– टोंक- ठिकरिया, कुम्हारिया, गालवा, गलवानिया, माशी, टोरडीसागर
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यह होगा फायदा…
– ओवरफ्लो हो रहे बांध का पानी व्यर्थ नहीं बहेगा और न ही इससे आस-पास के गांव खाली कराने की नौबत आएगी। अभी ज्यादातर बड़े बांध के भरने के बाद गेट से पानी छोड़ने से पहले गांव खाली कराए जाते रहे हैं। इससे फसलें भी बर्बाद होती हैं।
– खाली बांध में पानी पहुंचने से स्थानीय लोगों की पेयजल व सिंचाई की समस्या दूर हो सकेगी।
– जिस रूट से नदी, नहर गुजरेगी, उस रूट पर कृषि का दायरा बढ़ेगा।
– औद्याेगिक गतिविधियां बढ़ने की स्थितियां बनेंगी, क्योंकि कई उद्योगों को पानी की ज्यादा जरूरत होती है। इससे इलाके का इकोनॉमिक डवलपमेंट भी होगा।