उधार की बिजली अक्टूबर से फरवरी तक सुबह 8 से दोपहर 3 बजे के बीच अलग-अलग स्लॉट में ली जाएगी। गौर करने वाली बात यह है कि प्रदेश सौर ऊर्जा में सिरमौर है। यहां 17500 मेगावाट क्षमता के प्लांट हैं, लेकिन प्रदेशवासियों को केवल 4500 मेगावाट ही मिल रही है। इसी कारण महंगी और उधार की बिजली लेनी पड़ रही है। रबी बुवाई सीजन में बिजली डिमांड अधिकतम 18 हजार मेगावाट पहुंचने का आकलन किया गया है।
किस राज्य से कितनी बिजली लेंगे…
तमिलनाडू- 500 मेगावाट
उत्तरप्रदेश-1500 मेगावाट
कर्नाटक- 400 मेगावाट
(उत्तरप्रदेश और कर्नाटक से बैंकिंग प्रस्तावित हैं। उत्तरप्रदेश विद्युत निगम अप्रेल से जून के दौरान रात के समय बिजली वापिस चाहते हैं, जबकि राजस्थान की डिमांड भी रात को ही रहती है। इसलिए अभी मंथन चल रहा है)
अब 3100 लाख यूनिट पहुंची डिमांड
मानसून के दौरान ही प्रदेश में एक दिन में बिजली डिमांड 3100 लाख यूनिट तक पहुंच गई है। इस डिमांड को पूरी करने के लिए फिर से एक्सचेंज से बिजली खरीदी जा रही है। जबकि, कुछ दिन पहले तक यह डिमांड 300 से 400 यूनिट तक कम थी।
अभी पवन ऊर्जा से राहत: 596 लाख यूनिट मिली
अभी पवन ऊर्जा के कारण कुछ राहत मिली हुई है। एक दिन में अधिकतम 596 लाख यूनिट पवन ऊर्जा मिली है, जो लगभग अधिकतम है।
बढ़ गई है मांग
बिजली की डिमांड देशभर में बढ़ रही है। मानसून के बाद रबी सीजन आएगा और उस समय की डिमांड पूरी करने के लिए दूसरे राज्यों से बैंकिंग कर रहे हैं। बैंकिंग के अलावा दूसरे मॉडल पर भी होमवर्क कर रहे हैं, जहां आसानी से बिजली मिल सके।
-भास्कर ए. सावंत, प्रमुख शासन सचिव, ऊर्जा विभाग