किसानों की परेशानी और बढ़ जाएगी
निजी एजेंसी स्काईमेट के मानसून पूर्वानुमान के अनुसार, जून से सितंबर तक चार महीने की औसत वर्षा की 868.8 मिमी की तुलना में 816.5 मिमी यानी कि 94% बारिश की संभावना है। इससे पहले स्काईमेट ने चार जनवरी को अपने पहले के पूर्वाभास में 2023 के मानसून का औसत से कम रहने का आकलन किया था और अब इसे बरकरार रखा है।
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उत्तरी व मध्य भारत में ज्यादा असर…
देश के उत्तरी व मध्य भागों में वर्षा की कमी होने का ज्यादा असर दिख सकता है। गुजरात, मप्र, महाराष्ट्र में जुलाई व अगस्त में अपर्याप्त बारिश होगी । पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भी इसका असर हो सकता है। राजस्थान में पहले ही पानी का संकट है। ऐसे में अगर सामान्य से कम बारिश हुई तो किसानों की परेशानी और बढ़ जाएगी।
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स्काईमेट के प्रबंध निदेशक जतिन सिंह ने कहा ट्रिपल-डिप-ला नीना के चलते दक्षिण-पश्चिम मानसून के लगातार 4 पिछले मौसमों में सामान्य या सामान्य से अधिक वर्षा हुई। अब ला नीना समाप्त हो गया है। मानसून के दौरान अल नीनो की संभावना बढ़ रही है। इसकी वापसी कमजोर मानसून का कारण बनती दिख रही है। सरकारी एजेंसी भारतीय मौसम विज्ञान केंद्र (आइएमडी) इस महीने के आखिरी सप्ताह में अपना पूर्वानुमान जारी करेगा, जिसे बाद तस्वीर साफ होगी ।