अजमेर से सांसद भागीरथ चौधरी को पहली बार कैबिनेट में राज्यमंत्री के रूप में जगह मिली है। पिछली मोदी कैबिनेट में गजेन्द्र सिंह शेखावत जलशक्ति मंत्री तो भूपेन्द्र यादव श्रम एवं रोजगार मंत्री थे। अर्जुनराम मेघवाल कानून एवं न्याय मंत्री और संस्कृति एवं संसदीय कार्यमंत्री थे। तीनों को फिर मंत्री बनाया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी के पहले कार्यकाल में राजस्थान से लोकसभा सदस्य निहाल चंद को ही पहली मंत्रिपरिषद में जगह मिल पाई थी। हालांकि उस समय राजस्थान से राज्यसभा में रहे कुछ दिग्गजों को कैबिनेट में जगह मिली थी और नवम्बर 2014 में राजस्थान से मंत्रिपरिषद में जगह पाने वाले लोकसभा सदस्यों की संख्या भी तीन हो गई थी।
गजेंद्र सिंह शेखावत से इस तरह हो सकता है मोदी सरकार को फायदा
गजेंद्र सिंह शेखावत जोधपुर से लगातार तीसरी बार कैबिनेट मंत्री बने हैं। वे खासतौर से राजपूत समाज के दिग्गज नेताओं में गिने जाते हैं। मारवाड़ की सियासी समीकरण साधने के लिए गजेंद्र सिंह शेखावत को मंत्री बनाना सही फैसला हो सकता है।
वहीं भूपेंद्र यादव मोदी व शाह के भरोसेमंद नेताओं में से एक हैं। उन्होंने पहली बार अलवर से चुनाव लड़ाकर जीत भी हासिल की है। उनको खासतौर पर पार्टी की कई रणनीतियां को तय करने के लिए जाना जाता हैं।
मेघवाल व भागीरथ दोनों प्रमुख दलित नेताओं में से एक
अर्जुन राम मेघवाल की बात करें तो इस बार वे लगातार चौथी बार बीकानेर से सांसद बने हैं। इस बार मेघवाल को स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री के रूप में कैबिनेट में शामिल किया गया। अकेले मारवाड़-नहरी क्षेत्र की बात करें तो मेघवाल अकेले प्रमुख दलित नेता हैं। ऐसे में भाजपा को दलित समुदाय का साथ मिलने में मेघवाल का अहम रोल है।
क्या जाट समाज को खुश कर पाएगा चौधरी का दामन
राजस्थान के चौथे नेता जिन्हें कैबिनेट मंत्री में शामिल किया गया, वे हैं भागीरथ चौधरी। चौधरी अजमेर से सांसद बने हैं। दरअसल, भागीरथ चौधरी जाट समाज से आते हैं। ऐसे में राजस्थान में आरक्षण के मुद्दे पर कुछ जाट समाज पहले से ही नाराज चल रहे हैं, इसे लेकर आंदोलन भी हुए। ऐसे में भागीरथ चौधरी को मंत्री पद देना लाजमी है ताकि बीजेपी को राजस्थान में जाट समाज का समर्थन मिल पाए।