राजनीतिक जीवन की शानदार शुरुआत
गजेंद्र सिंह शेखावत का राजनीति में उदय जोधपुर के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र स्नातकोत्तर और एमफिल के रूप में शुरू हुआ। भाजपा की छात्र शाखा ABVP से शेखावत ने अपनी राजनीति की शुरुआत की। उन्होंने 1992 में विश्वविद्यालय अध्यक्ष चुने गए। वर्ष 2014 में सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया। अपने पहले संसदीय चुनाव में जोधपुर से से कांग्रेस प्रत्याशी और जोधपुर राजपरिवार की चंद्रेश कुमारी को 4.10 लाख वोटों से पराजित किया। इसका इनाम यह मिला कि 2017 में केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री का दायित्व मिला। वर्ष 2019 में जोधपुर सीट पर कांग्रेस के कद्दावर नेता अशोक गहलोत के सुपुत्र वैभव गहलोत को करीब 2.74 लाख वोटों हराया। इस बार पीएम मोदी ने कैबिनेट मंत्री के रूप में नवगठित जलशक्ति मंत्रालय का जिम्मा सौंपा। चुनाव 2024 में जोधपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी करण सिंह उचियारड़ा को 1.15 लाख से अधिक वोटों से पराजित किया। यह भी पढ़ें – राजस्थान में एक राज्यसभा सीट होगी रिक्त, उपचुनाव में भाजपा-कांग्रेस देंगे एक दूसरे को चुनौती गजेन्द्र सिंह शेखावत का जीवन परिचय
तीसरी बार केंद्रीय कैबिनेट का हिस्सा बन रहे गजेन्द्र सिंह शेखावत का जन्म 3 अक्टूबर 1967 को जैसलमेर (राजस्थान) में हुआ था। वैसे उनका मूल निवास महरौली, जिला सीकर में आता है। पिता शंकरसिंह शेखावत (सेवानिवृत्त अतिरिक्त मुख्य अभियंता, जलदाय विभाग) और स्वर्गीय मोहनकंवर हैं। उनकी पत्नी का का नाम नोनद कंवर है। शेखावत के 2 पुत्री व एक पुत्र हैं। गजेन्द्र सिंह शेखावत ने एमए दर्शन शास्त्र, एमफिल (जेएनवीयू, जोधपुर) तक की शिक्षा प्रज्ञप्त की है। सादगी पसंद हैं। बॉस्केटबॉल और बैडमिंटन के अच्छे खिलाड़ी। वर्तमान में राजस्थान बैडमिंटन एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं।
गजेन्द्र सिंह शेखावत का सांगठनिक अनुभव शानदार
भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव रहे। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में 35 सीटों का दायित्व मिला। पंजाब में भाजपा के राज्य प्रभारी रहे। राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रपति चुनाव प्रबंधन कमेटी के संयोजक बनाए गए। राजस्थान विधानसभा चुनाव में स्टार प्रचारक रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोकप्रिय
सोशल मीडिया पर बेहद लोकप्रिय। फेसबुक पर 14 लाख से अधिक और टि्वटर पर 5.87 लाख से अधिक फॉलोवर्स।
इन विषयों के हैं दीवाने
जल, पर्यावरण, इतिहास, राजनीति, विदेश नीति, कृषि आदि से जुड़े विषयों पर घंटों बातें कर सकते हैं। जल और कृषि पर विशेषज्ञता। अंग्रेजी, हिन्दी और मायड़ भाषा राजस्थानी पर समान रूप से पकड़ है।