संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सांसदों ने बातचीत में कहा कि राजस्थान को इस बार नया सीएम मिलने वाला है। हालांकि मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की सूची में शामिल सांसदों ने आधिकारिक तौर पर मौन साधा हुआ है। लेकिन एक सांसद ने कहा कि भाजपा में संगठनात्मक और सत्ता में भागीदारी उसीको मिलती है, जिसने व्यक्ति के बजाय पार्टी के प्रति निष्ठा दिखाई है। यही कारण रहा कि इस बार विधानसभा चुनाव में जिताऊ नजर आ रहे कई दिग्गजों को भी टिकट से वंचित कर दिया गया। यही संकेत अब सरकार के गठन में भी नजर आएंगे।
सीएम के साथ दो डिप्टी सीएम! राज्य के करीब आधा दर्जन सांसद प्रदेश के चुनावी नतीजे आने के बाद पल—पल का की गतिविधियों पर निरंतर नजर रखकर फीडबैक भी पहुंचा रहे हैं। एक केन्द्रीय नेता ने कहा कि संभव है, इस बार राजस्थान में मुख्यमंत्री के साथ दो उप मुख्यमंत्री भी बनाए जाएं।0 पहली बार प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के लिए काफी नाम कतार में हैं।
इसलिए हो रहा शक्ति प्रदर्शन! कुछ सांसदों का कहना है कि इस बार विधानसभा चुनाव की पहली सूची के 41 नाम सामने आते ही प्रदेश भाजपा में अंदरूनी घमासान शुरू हुआ। तब पहली बार ऐसा नजर आया कि भाजपा आलाकमान को अपनी रणनीति से पीछे हटना पडा। शक्ति प्रदर्शन करने वाला खेमा इसी उम्मीद में इस बार भी टैरर पॉलिटिक्स की रणनीति अपना रहा है। इसके जरिये यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि विधायकों की मंशा उनके साथ है।