इन सभी पर कोर्ट ने मिलीभगत करके भैरूराम को टैंडर दिलाने और उसके बाद ज्यादा भुगतान जारी करने के मामलें में आरोप तय किए हैं। अपने आदेश में एसीबी कोर्ट के जज़ बृजेश कुमार ने कहा कि तत्कालीन प्रधान झाबर सिंह खर्रा ने सह आरोपी कृष्ण कुमार गुप्ता व नेहरूलाल के साथ मिलकर 8 मार्च, 2006 को आपराधिक षड्यंत्र के तहत पेयजल आपूर्ति के प्रस्ताव के लिए पंचायत समिति की एक बैठक की। उसके बाद उन्होंने टेंडर में भाग लेने वाले भैंरूराम से आपराधिक षड्यंत्र के तहत मिलीभगत व अपने लोक सेवक पद का दुरुपयोग करते हुए टेंडर प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा किया था। समिति ने भैंरूराम के पीवीसी पाइप का अधिकृत ठेकेदार नहीं होने और इस काम का उसे कोई अनुभव नहीं होने के बाद भी उसे सफल बोलीदाता घोषित कर टेंडर जारी कर दिया।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि भैंरूराम को पंचायत समिति ने पाइप खरीद के 27 लाख 38 हज़ार 477 रुपए का भुगतान किया। जबकि जांच से यह प्रथमदृष्ट्या साबित होता हो कि भैरूराम ने गोयाल पाइप से 13 लाख 24 हज़ार 339 रुपए में पाइप की खरीद की थी। ऐसे में इन सब ने मिलकर राजकोष को 14 लाख 14 हजार 78 रुपए का नुकसान पहुंचाया।