Kisan Protest : किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उपज बेचने का इंतजार रहता है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह होती है कि एमएसपी पर किसानों को बाजार से ठीक दाम मिल जाते हैं। जबकि बाजार में अक्सर उन्हें एमएसपी से कम दामों पर ही उपज बेचनी पड़ती है। लेकिन कई बार एमएसपी पर खरीद की व्यवस्थाओं में कमी रहने या इन व्यवस्थाओं के किसानों की मांग के हिसाब से नहीं होने से किसानों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। खामियाजा भी ऐसा कि उनका सफेद सोना उन्हें बाजार में औने पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ जाता है।
राजस्थान में किसानों को कुछ ऐसी ही मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार ने किसानों से एमएसपी पर उपज खरीद की व्यवस्था की है लेकिन कई स्थानों पर इनमें कमियां होने से किसानों को उपज बेचने में कई तरह की परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है। श्रीगंगानगर जिले में किसानों को कुछ ऐसी ही मुश्किल से गुजरना पड़ रहा है। यहां सरकारी खरीद प्रक्रिया सरल व सुचारू करने की मांग और अपनी विभिन्न समस्याओं के समााधान को लेकर गंगानगर किसान समिति और अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त तत्वावधान में नई धानमंडी के दोनों गेटों पर ताला लगाकर प्रदर्शन किया गया। करीब तीन घंटे तक किसानों ने यहां धरना दिया। किसानों ने इस दौरान कहा कि उन्हें सफेद सोने यानि कपास जिसे नरमा भी कहा जाता है, बाजार में उसके पूरे दाम नहीं मिल रहे हैं। जबकि सरकार ने एमएसपी पर खदी के लिए जो व्यवस्था की है वो पर्याप्त नहीं है।
मंडी में हो नरमे की सरकारी खरीद मुख्य वक्ता गंगानगर किसान समिति के जिला संयोजक रणजीतसिंह राजू का कहना है कि नरमे की सरकारी खरीद के लिए जिले में 15 मंडियों में महज आठ खरीद केन्द्र बनाए गए हैं। वहीं, इन पर चार ही गुणवत्ता निरीक्षक लगाए गए हैं। इससे खरीद में देरी होने से खरीद प्रभावित हो रही है। किसानों ने इस दौरान शिकायत की कि कई मंडियों में तो खरीद तक शुरू नहीं होने से किसान परेशान हैं और उन्हें बाजार में औने पौने दामों में अपनी उपज बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। किसानों को बाजार में एमएसपी से करीब 600 रुपए प्रति क्विंटल कम कीमत पर नरमा बेचना पड़ रहा है।