मिनी वंदेभारत ट्रेन को चलाने का मकसद है कि छोटे शहरों को आपस में बहुत तेजी से जोड़ा जा सके। बड़े शहरों को जोड़ने के लिए वंदेभारत, शताब्दी और राजधानी जैसी एक्सप्रेस ट्रेन हैं लेकिन छोटे शहर ट्रेनों की बढ़ती गति से पीछे छूट रहे हैं। ऐसे में रेलवे ने यह विशिष्ट योजना तैयार की है। दूसरी बड़ी बात है कि वंदेभारत की मांग तेजी से बढ़ रही है।
ऐसे में इनके दो टुकड़े करके बेहतर और ज्यादा उपयोग पर भी रेलवे का ध्यान गया है। एक वंदेभारत के कोच में दो मिनी वंदे भारत तैयार हो जाएगी और फिर उसे जोड़कर किसी स्टेशन से दूसरे जगह के लिए एक वंदेभारत भी जलाई जा सकेगी। इससे रेलवे की आय और कोच की उपयोगिता में बढ़ावा होगा।
यहां भी चलाने की तैयारी
रेलवे मिनी वंदे भारत एक्सप्रेस अमृतसर-जम्मू, कानपुर-झांसी और नागपुर-पुणे जैसे छोटे सेक्टरों में चला सकता है, जहां यात्री भार कम है। रेलवे का लक्ष्य मार्च या अप्रेल तक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहली मिनी वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाने का है। प्रोजेक्ट सफल रहता है तो मंत्रालय अखिल भारतीय स्तर पर मिनी वंदे भारत ट्रेन शुरू कर सकता है।
शयनयान श्रेणी की भी तैयारी
रेलवे वंदे भारत एक्सप्रेस का स्लीपर संस्करण भी शुरू करने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक स्लीपर संस्करण राजधानी एक्सप्रेस ट्रेनों के विकल्प के रूप में चलाया जाएगा। 220 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से यात्रा के लिए डिजाइन किया जाएगा। हालांकि रेलवे ट्रैक की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ट्रेनों की रफ्तार 130 किलोमीटर प्रति घंटे तक सीमित रहेगी।
आइसीएफ में तैयार हो रहा प्रोटोटाइप
मिनी वंदे भारत की डिजाइन और बैठक व्यवस्था को अंतिम रूप देने के बाद इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आइसीएफ) में इसका प्रोटोटाइप तैयार किया जा रहा है। एक अधिकारी ने बताया कि दो साल में चेन्नई के आइसीएफ, महाराष्ट्र के लातूर रेल कारखाने और सोनीपत में चार सौ वंदे भारत ट्रेनों का उत्पादन किया जाएगा।