खान विभाग में सुस्ती के माहौल को लेकर सबसे बड़ी वजह यह बताई जा रही है कि हाल ही तबादलों को लेकर मंत्री से अधिकारियों की खींचतान और विभागीय संयुक्त सचिव को 4 लाख की रिश्वत लेते पकड़े जाने के बाद हर अधिकारी कोई भी नया काम करने से ही डर रहा है। हालांकि इस बवाल के बाद मुख्यमंत्री गहलोत ने विभाग में तीनों उच्च पदों पर आईएएस अधिकारियों की नियुक्ति कर दी है। संयुक्त सचिव के पद पर भी आरएएस अधिकारी के स्थान पर इस बार आईएएस को लगाया है। इस प्रयास के बाद भी काम आगे गति नहीं पकड़ पा रहा।
खनन नीति सरलीकरण पर नहीं बढ़ पा रहा काम…
राज्य की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की ओर से प्रदेश में नई खनन नीति लागू की गई थी। इस नीति में कुछ कठिनाइयों को देखते हुए राज्य की वर्तमान कांग्रेस सरकार ने बजट घोषणाओं के दौरान खनन नीति में सरलीकरण का एलान किया था। इसके तहत खान आवंटन सहित अन्य कुछ प्रावधानों में सरलीकरण कर खनन कारोबारियों को राहत दी जानी थी। जिससे कि प्रदेश के खनन कारोबार को गति मिल सके। इसके घोषणा के बाद इस पर खान विभाग के अधिकारियों को कार्रवाई करनी थी। लेकिन वे अभी तक इस पर मंथन तक उच्च स्तर पर शुरू नहीं करा सकें हैं।
एम-सैण्ड नीति पर विभाग मौन…
राज्य लम्बे समय से बजरी संकट से जूझ रहा है। इसको देखते हुए राज्य सरकार ने प्रदेश में एम-सैण्ड नीति लागू करने का एलान किया था। इस नीति को लेकर पूर्ववर्ती सरकार में भी मंथन हुआ। वर्तमान सरकार ने भी मंथन शुरू किया। लेकिन अब यह काम पूरी तरह से ठण्डे बस्ते में पड़ा है। इस नीति के तहत पत्थरों की पिसाई कर बजरी तैयार की जानी थी। राज्य में ऐसे कुछ प्लांट लग भी चुके हैं। लेकिन इसमें आगे निवेश को लेकर खनन कारोबारी नीति की मांग कर रहे थे। जिससे कि इस उद्योग को आगे बढ़ावा मिल सके।
निरोधक दस्ते का नहीं हो सका पुर्नगठन…
राज्य में तेजी से हो रहे अवैध खनन को लेकर सड़क से लेकर विधानसभा तक भारी बवाल हो चुका है। ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खान विभाग के निरोधक दस्ते का पुर्नगठन कर मजबूत करने का एलान किया था। जिससे कि अवैध खनन पर प्रभावी नियंत्रण हो सके। लेकिन विभागीय उच्चाधिकारियों की ओर से मुख्यमंत्री के इस एलान को लेकर चुप्पी इस कदर है कि कोई काम आगे बढ़ाना तो दूर, इस मामले पर बात करने तक को तैयार नहीं है। इसका नतीजा यह हो रहा है कि अवैध खनन राज्यभर में जोरों पर है।
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