इस दौरान महंत के उत्तराधिकारी नरेशपुरी महाराज भी उनकी सेवा में उनके साथ रहे। दोपहर करीब साढ़े तीन बजे उनका पार्थिव शरीर बालाजी लाया गया। यहां बालाजी मंदिर आरती हॉल पर अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया। इस दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। सोमवार को उनके पार्थिव शरीर का चकडोल निकालकर संत परंपरा के अनुसार महंत गणेशपुरी समाधि स्थल पर सुबह दस बजे समाधि दी जाएगी। महंत के निधन पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, वसुंधरा राजे, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, सचिन पायलट, सांसद जसकौर मीणा, मंत्री ममता भूपेश सहित कई जनप्रतिनिधियों ने शोक जताया है।
चेस्ट में इंफेक्शन था-
महंत किशोरपुरी महाराज के उत्तराधिकारी नरेशपुरी महाराज ने बताया कि वे चेस्ट इन्फेक्शन सहित कई बीमारियों से जूझ रहे थे। सोमवार को संत परंपरा के अनुसार समाधि दी जाएगी। बालाजी में शोक की लहर
महंत किशोरपुरी महाराज के निधन की सूचना मिलते ही बालाजी में सन्नाटा पसर गया। दर्शनार्थियों के लिए बालाजी मंदिर के पट बंद कर दिए गए। इसके साथ ही व्यापारी बाजार की दुकानें भी बंद कर मंदिर परिसर में पहुंच गए। जहां अंतिम दर्शन किए। महंत के पार्थिव शरीर को बालाजी मंदिर आरती हॉल में भक्तों के दर्शनों के लिए रख दिया गया है।
महंत किशोरपुरी महाराज के उत्तराधिकारी नरेशपुरी महाराज ने बताया कि वे चेस्ट इन्फेक्शन सहित कई बीमारियों से जूझ रहे थे। सोमवार को संत परंपरा के अनुसार समाधि दी जाएगी। बालाजी में शोक की लहर
महंत किशोरपुरी महाराज के निधन की सूचना मिलते ही बालाजी में सन्नाटा पसर गया। दर्शनार्थियों के लिए बालाजी मंदिर के पट बंद कर दिए गए। इसके साथ ही व्यापारी बाजार की दुकानें भी बंद कर मंदिर परिसर में पहुंच गए। जहां अंतिम दर्शन किए। महंत के पार्थिव शरीर को बालाजी मंदिर आरती हॉल में भक्तों के दर्शनों के लिए रख दिया गया है।
55 साल पहले बैठे थे गद्दी पर
सामाजिक कार्यों के लिए अपनी विशेष पहचान रखने वाले महंत किशोरपुरी महाराज का मेहंदीपुर बालाजी के पास उदयपुरा गांव में जन्म हुआ था। बचपन में अपने गुरु गणेशपुरी महाराज के दीक्षा लेने के बाद करीब 55 साल पहले मेहंदीपुर बालाजी के महंत की गद्दी पर आसीन हुए थे। उन्होंने बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक तक स्कूल और पीजी कॉलेज संस्कृत कॉलेज आईटी कॉलेज की स्थापना की थी।
सामाजिक कार्यों के लिए अपनी विशेष पहचान रखने वाले महंत किशोरपुरी महाराज का मेहंदीपुर बालाजी के पास उदयपुरा गांव में जन्म हुआ था। बचपन में अपने गुरु गणेशपुरी महाराज के दीक्षा लेने के बाद करीब 55 साल पहले मेहंदीपुर बालाजी के महंत की गद्दी पर आसीन हुए थे। उन्होंने बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक तक स्कूल और पीजी कॉलेज संस्कृत कॉलेज आईटी कॉलेज की स्थापना की थी।