जयपुर

सत्यपाल मलिक बोले-600 किसान शहीद, न कोई नेता बोला, न शोक प्रस्ताव आया

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक बार फिर से किसान आंदोलन को लेकर केन्द्र सरकार पर निशाना साधा है।

जयपुरNov 07, 2021 / 09:04 pm

Kamlesh Sharma

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक बार फिर से किसान आंदोलन को लेकर केन्द्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन में 600 लोग शहीद हो गए, लेकिन न कोई नेता बोला और न ही लोकसभा में शोक प्रस्ताव आया।

जयपुर। मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक बार फिर से किसान आंदोलन को लेकर केन्द्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन में 600 लोग शहीद हो गए, लेकिन न कोई नेता बोला और न ही लोकसभा में शोक प्रस्ताव आया। दिल्ली से एक चिट्ठी तक नहीं आई। जबकि कोई पशु भी मरता है, तो दिल्ली के नेता शोक संदेश जारी कर देते हैं। जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम में आयोजित ग्लोबल जाट समिट में मलिक ने किसान आंदोलन का समर्थन किया तथा केन्द्र सरकार से किसानों से बात करने की अपील की। उन्होंने कहा कि मैं दिल्ली के उन 2-3 लोगों की इच्छा के खिलाफ बोल रहा हूं, जिन्होंने मुझे गवर्नर बनाया, लेकिन वे जब कहेंगे तभी मैं तत्काल पद से हट जाऊंगा।
समारोह में प्रसिद्ध वैज्ञानिक पद्म विभूषण डॉ. आर एस परोदा, ओलंपियन मेडलिस्ट देवेंद्र झाझडिय़ा सहित शिक्षाविद, साहित्यकार, वैज्ञानिक, उद्योगपति, समाजसेवी और जाट समाज के गणमान्य लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम में आईएएस, आरएएस, पुलिस सेवा, कृषि सहित अन्य क्षेत्रों में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित किया। तेजा फाउंडेशन की ओर हुए इस कार्यक्रम में कहा कि किसानों की शहीद होने पर अब तक संसद में हमारे वर्ग का एक भी नेता नहीं बोला।
मैने पीएम को कहा – आपको गलतफहमी
मलिक ने कहा कि प्रधानमंत्री से मिलकर आंदोलन को लेकर मैने बोला था कि आपको गलतफहमी है। किसान अपने हक के लिए हर कदम पर लड़ेगें। कुछ गलतफहमी है, न सिखों को और न जाटों को हराया जा सकता। किसानों की मांग एमएसपी की है, जो उन्हे देना चाहिए। मलिक ने किसानों के लाल किले पर झंडा फहराने को लेकर कहा कि पहला अधिकार प्रधानमंत्री का है और दूसरा हमारा लेकिन उसे भी बेवजह मुद्दा बनाया गया।
अगली बार खुलकर बोलूंगा, शायद राज्यपाल नहीं रहूं
मेघालय के राज्यपाल ने कहा कि अगली बार आऊंगा, तो खुलकर बोलूंगा क्योंकि अगली बार शायद मैं राज्यपाल ही न रहूं। पहले दिन जब किसानों के पक्ष में बोला था तो तय कर लिया था कि दिल्ली से किसी भी तरह का फोन आया तो राज्यपाल की कुर्सी छोड़ दूंगा।

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