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जयपुर

इस साल 55 दिन ही गूंजेगी शहनाइयां, अप्रैल तक 3 अबूझ मुहूर्त होने से हो सकेंगे विवाह

धनु मलमास खत्म होने के बाद नववर्ष-2021 के शुरुआती साढ़े तीन महीनों बाद भी वर-वधु अग्नि के समक्ष सात फेरे नहीं ले सकेंगे। ज्योतिषविदों के मुताबिक गुरु-शुक्र का तारा अस्त होने से मांगलिक कार्य नहीं होंगे।

जयपुरJan 16, 2021 / 01:52 pm

Santosh Trivedi

marriage ceremony restrictions

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क
जयपुर. धनु मलमास खत्म होने के बाद नववर्ष-2021 के शुरुआती साढ़े तीन महीनों बाद भी वर-वधु अग्नि के समक्ष सात फेरे नहीं ले सकेंगे। ज्योतिषविदों के मुताबिक गुरु-शुक्र का तारा अस्त होने से मांगलिक कार्य नहीं होंगे। हालांकि इस समयावधि में कई अबुझ मुहूर्त रहेंगे, जिसमें मांगलिक कार्य हो सकेंगे। ज्योतिषाचार्य पं.दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि 16 जनवरी से 16 फरवरी तक गुरु तारा और 14 फरवरी से 23 अप्रैल तक शुक्र तारा अस्त रहेगा।

इससे साढ़े तीनों महीनों में वैवाहिक कार्यक्रम नहीं होंगे। 16 फरवरी को बसंत पंचमी, 15 मार्च को फुलेरा दूज, 21 अप्रैल को रामनवमी का अबूझ मुहूर्त होने से इस दिन शादी-विवाह या सामूहिक विवाह सम्मेलन होंगे। शर्मा ने बताया कि शास्त्रानुसार विवाह का पवित्र बंधन दस दोषों से मुक्त होता है। जनवरी, फरवरी व मार्च में शादी-विवाह से जुड़ी रस्में नहीं होगी, हालांकि बतौर अबूझ मुहूर्त पर मांगलिक कार्य हो सकेंगे। 23 अप्रैल के बाद फिर से लगातार शहनाइयों की गूंज सुनाई देगी।

55 दिन रहेंगे मुहूर्त
पं.दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि सन 2021 में 55 दिन ही मांगलिक कार्य सहित अन्य शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त रहेंगे। इसमें अबुझ सावे भी शामिल रहेंगे। इसी बीच 15 मार्च से 13 अप्रैल तक मल का मास भी रहेगा। जिससे 23 अप्रैल तक कोई शुभ कार्य नहीं होंगे। इसके बाद विवाह, उपनयन संस्कार, गृह प्रवेश, मंदिर निर्माण होंगे। ज्योतिषाचार्य पं.पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि 2021 में विवाह के लिए 55 दिन से ज्यादा मुहूर्त रहेंगे। शुरू के साढ़े तीन महीने शहनाइयों की गूंज नहीं सुनाई देगी। 20 जुलाई को देवशयनी एकादशी का मुहूर्त रहेगा। 14 नवंबर को देवउठनी एकादशी रहेगी।

13 अप्रैल को नवसवंत्सर होगा शुरू
पं.पंडित नीलेश शास्त्री ने बताया कि सूर्य की युति गुरु के साथ होती है, तब देवगुरु बृहस्पति ग्रह अस्त हो जाते हैं, 16 फरवरी तक गुरू अस्त रहेंगे। 19 जनवरी को सुबह 11.30 बजे देवगुरु बृहस्पति पश्चिम दिशा में अस्त होंगे। इससे तीन पूर्व 16 जनवरी शनिवार से वृद्धत्व दोष होने से विवाह सगाई आदि मांगलिक कार्य निषेध हो जाएंगे। परन्तु प्रस्तुति स्नान, अन्नप्राशन संस्कार के मुहूर्त होते 13 अप्रैल से नूतन संवत्सर 2078 आरंभ होगा।

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