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जयपुर

कांकरी डूंगरी मामले को लेकर कई संगठन हुए एकजुट

आदिवासी एकता मंच, एसएफ आई, भीम आर्मी, आरएलपी सहित कई संगठन आए एक साथमृतक परिवारों के परिजनों को मुआवजे के रूप में सरकारी नौकरी की मांगसाथ ही एक एक करोड़ रुपया भी दे सरकारपुलिस में दर्ज किए गए मामले वापिस लेने की संगठनों ने मांगपुलिस फायरिंग के आदेश देने वाले अधिकारियों को निलंबित करने की मांग भी की गईकहा, मांग पूरी नही हुई तो करना होगा आंदोलन

जयपुरOct 12, 2020 / 05:57 pm

Rakhi Hajela

कांकरी डूंगरी मामले को लेकर कई संगठन  हुए एकजुट

कांकरी डूंगरी मामले को लेकर कई संगठन हुए एकजुट

कांकरी डूंगरी मामले को लेकर कई संगठन एक जुट हो गए हैं। इन संगठनों ने मांग की है कि मृतक परिवारों के परिजनों को मुआवजे के रूप में सरकारी नौकरी दिए जाने की मांग की है। आदिवासी एकता मंच, एसएफ आई, भीम आर्मी, आरएलपी के पदाधिकारियों ने आज एक प्रेसवार्ता में कहा कि इस मामले में मारे गए परिवारों के परिजनों को सरकार एक एक लाख रुपया दे रही है जो नाकाफी है। उन्होंने सरकार से मांग की कि हर परिवार को एक एक करोड़ रुपए मुआवजे के रूप में दिए जाएं। आदिवासी एकता मंच के अतुल मीणा, आजाद समाज पार्टी और भीम आर्मी के प्रदेशाध्यक्ष अनिल डेनवाल ने कहा कि सरकार ने इस आंदोलन में २६ एफआईआर दर्ज की हैं जिसमें १६०० से अधिक आदिवासियों को गंभीर धाराओं में चिह्नित किया गया है। ३०० से अधिक ड्यूटी पर आदिवासी सरकारी कर्मचारी, सरपंच और युवा कार्यकर्ताओं को चुनिंदा तौर पर हाशिए की आवाजों को चुप कराने के लिए आरोपी बनाया गया है। जिन पर आरोप लगाए गए हैं उन युवाओं की उम्र १८ से २० साल है क्योंकि सरकार आदिवासी युवा पीढ़ी के जीवन और
करियर को नष्ट करने पर उतारू है। उन्होंने इन सभी मामलों को झूठा बताते हुए रद्द किए जाने की मांग की साथ ही
उन अधिकारियों को भी निलंबित किए जाने की मांग की कि जिन्होंने पुलिस फायरिंग के आदेश दिए थे साथ ही पूरे मामले
की सीबीआई जांच किए जाने की भी मांग की है।
आरएलपी के श्रवण चौधरी और एआईएसए के अर्जुन मेहर ने कहा कि २०१८ थर्ड ग्रेड शिक्षक भर्ती में ११६७
टीएसपी सामान्य सीटें खाली रह गई थीं क्योंकि यह क्षेत्र बहुसंख्यक आदिवासी वाला है। सरकार को खाली सीटों को पूरा करने और टीएसपी क्षेत्र में जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण लागू करने के लिए संविधान के अनुच्छेद २४४ (१)
द्वारा निर्धारित पांचवीं अनुसूची को लागू करना चाहिए। उनका कहना था कि यदि यह मांगें पूरी नहीं हुई तो उन्हें
आंदोलन करने पर मजबूर होना होगा।

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