महासभा के संगठन महासचिव मनोज अजमेरा ने कहा कि सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ आरक्षण समिति के प्रतिनिधि मंडल के साथ वार्ता करने के बाद आमजन को हो रही परेशानी को देखते हुए समाज भी चाहता था कि कोई सम्मानजनक रास्ता निकले। अतः ओबीसी आयोग के अध्यक्ष और सरकार के आला अधिकारियों के साथ वार्ता करने के बाद संघर्ष समिति ने दस दिन के लिए अपना आन्दोलन स्थगित करते हुए हाइवे से जाम हटा दिया था। लेकिन अब सरकार ने माली-सैनी समाज के भोली-भाले लोगों के साथ धोखाधड़ी करते हुए आन्दोलन में शामिल लोगों के खिलाफ ही मुकदमा बना दिया है जबकि सरकार के अधिकारियों ने प्रतिनिधि मंडल के साथ हुई वार्ता में आरक्षण आन्दोलन के अन्तर्गत समाज के लोगों पूर्व में लगे हुए मुकदमे वापस लेने का आश्वासन दिया था।
अजमेरा ने अरोदा ग्राम में फांसी लगाकर जान देने वाले दिवंगत मोहन सिंह के परिजनों को बतौर मुआवजा एक करोड़ रुपये और एक परिजन को सरकारी नौकरी देने की मांग से भी हाथ खीचने का आरोप लगाते हुए सरकार की मंशा पर सवालिया निशान लगाते हुए चेताते हुए कहा कि अगर मुकदमे लगाए गये और दिवंगत मोहन सिंह को न्याय नहीं मिला तो राजस्थान प्रदेश माली-सैनी महासभा रजि. समुचे राजस्थान में आन्दोलन करने को विवश होगी।