जयपुर

राजस्थान के इस द्रोणाचार्य के शागिर्दों ने राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई बार बढ़ाया देश का मान

माता-पिता के बाद एक गुरु ही है जो किसी और की संतान को ज्ञान व जीने के तरीके सिखाता है।

जयपुरOct 10, 2017 / 03:43 pm

rajesh walia

माता-पिता के बाद एक गुरु ही है जो किसी और की संतान को ज्ञान व जीने के तरीके सिखाता है। गुरु की जीत उसी में है, जब उनका शिष्य अपने देश, अपने माता-पिता और अपने गुरु का सर गर्व से ऊंचा करे। देश के जाने-माने पहलवान एवं रेसलिंग कोच महासिंह राव भी कुछ ऐसे ही है।
 

राजस्थान के झुंझुनू ज़िले के एक छोटे से गांव घारदा खुर्द में जन्में महासिंह राव ने अपना अब तक का जीवन औरों के बच्चों को कामयाब बनाने में लगा दिया। उनके प्रशिक्षित किए हुए खिलाड़ियों ने बड़ी-बड़ी बुलंदियां हासिल और उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कारों से नवाज़ा गया। उन्हें खेल के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए वर्ष 2006 के लिए द्रोणाचार्य पुरस्कार से नवाज़ा गया।
 

महासिंह राव के सिखाए खिलाड़ी संदीप कुमार राठी को भारत केसरी, राजीव तोमर को हिन्द केसरी, अर्जुन अवार्ड और गोल्ड मैडल इन कॉमन वेल्थ गेम्स, अनुज चौधरी को अर्जुन अवार्ड, सुजीत मान को अर्जुन अवार्ड का सम्मान मिल चुका है।
 


1 जुलाई 1958 को जन्में महासिंह, भाना राम यादव और मोहरी देवी यादव की चौथी संतान हैं। प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने खेतड़ी से उच्च शिक्षा और फिर चिड़ावा कॉलेज से गणित में स्नातक किया। वे बचपन से ही कुश्ती के शौक़ीन थे। उनके माता-पिता ने उन्हें पढाई में ध्यान देने के लिए कहा इसलिए उन्होंने अपनी मास्टर्स की डिग्री इकोनॉमिक्स में राजस्थान विश्वविद्यालय से 1981-1984 में प्राप्त की थी।
 

वे 1985 में चिडावा जिले में बस गए। कुश्ती में रुचि होने की वजह से वे कई घंटों तक अभ्यास करते थे, इसलिए वे खेल के संपर्क में रहे और परिश्रम करते रहे।
इस बीच उन्होंने 1982-1983 में कुश्ती में डिप्लोमा प्राप्त किया। तब तक वह राजस्थान राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले देश में एक राष्ट्रीय स्तर के पहलवान थे।


अपनी पढाई पूरी होने के बाद वह कुश्ती कोच के रूप में भारत के खेल प्राधिकरण में शामिल हो गए, उन्होंने फ्री स्टाइल कुश्ती और भारतीय शैली में प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया। उनकी शुरूआती पोस्टिंग गुरु हनुमान अखाडा (नई दिल्ली) में हुई। इस तरह से उन्होंने कई खिलाडियों की जिंदगी संवारी और उन्हें पहलवानी के गुर सिखाए।

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