इनका वाहन सिंह है। मां सिद्धिदात्री कमल पुष्प पर आसीन रहती हैं। उनकी चार भुजाएं हैं जिनमें एक हाथ में भी कमलपुष्प है। माता सिद्धिदात्री की पूर्ण विश्वास के साथ पूजा करनी चाहिए. मां सिद्धिदात्री अपने साधक को परम पद प्रदान करती हैं।
मार्कण्डेय पुराण के अनुसार आठ सिद्धियां होती हैं। इनके नाम अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व हैं. इधर ब्रह्मवैवर्त पुराण में अठारह सिद्धियां बताई गई है। मां सिद्धिदात्री इन सिद्धियों के साथ ही नवनिधि भी प्रदान करती हैं।
स्वयं भगवान शिव को भी मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही सिद्धियों की प्राप्ति हुई थी। देवीपुराण में उल्लेख है कि सिद्धिदात्री माता की शिव पर ऐसी अनुकम्पा हुई कि देवी उनके आधे शरीर में ही समां गईं थी। तभी से वे ‘अर्द्धनारीश्वर’ नाम से प्रसिद्ध हुए।
स्तुति मंत्र
1.
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना यदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायनी॥
2.
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।
हिंदी भावार्थ
हे मां! सर्वत्र विराजमान और मां सिद्धिदात्री के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूं।
——
1.
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना यदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायनी॥
2.
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।
हिंदी भावार्थ
हे मां! सर्वत्र विराजमान और मां सिद्धिदात्री के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूं।
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