यह चंद्र ग्रहण यूरोप, अफ़्रीका, ऑस्ट्रेलिया, एशिया, प्रशान्त, अटलांटिक और हिन्द महासागर से दिखाई देगा। भारत में ये दिखाई नहीं देगा। इसलिए सूतक भी मान्य नहीं होगा। यह चंद्रग्रहण लगभग 139 साल बाद बुद्ध पूर्णिमा पर लगने वाला है। बीएन विवि में सूर्य ग्रहण के बाद चंद्र ग्रहण का भी अध्ययन किया जाएगा।
बुद्ध पूर्णिमा पर पहला चंद्रग्रहण कल, जानिए सूतक काल, समय और राशियों पर प्रभाव
द्वितीयक अंतरिक्ष किरणों में आई कमी
बीएन विवि के भौतिक विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ देवेंद्र पारीक ने बताया कि चंद्र ग्रहण के प्रेक्षण भी लिए जाएंगे। इससे पूर्व 20 अप्रेल को जो सूर्यग्रहण हुआ था, उसके प्रेक्षण 15 से 30 अप्रेल तक लिए गए। आंकड़ों का विश्लेषण करने पर यह पाया कि लगभग 1.47 प्रतिशत द्वितीयक अंतरिक्ष किरणों में कमी सूर्यग्रहण के दिन देखी गई। भारत में यह सूर्यग्रहण दृश्य नहीं था, इसलिए अंतरिक्ष किरणों के कणों में कमीं अत्यंत कम लगभग 1.47 प्रतिशत ही आई। इससे यह स्पष्ट होता है कि यदि सूर्यग्रहण प्रेक्षण वाले स्थान पर नहीं होगा तो इसका प्रभाव उस क्षेत्र में नहीं होगा।