ज्योतिषाचार्य पं. चन्द्रशेखर शर्मा ने बताया कि वैशाख शुक्ल पूर्णिमा पर मांद्य (उपच्छायी) चन्द्रग्रहण होगा। ग्रहण के दौरान भारत में चन्द्रमा धुंधला होता दिखाई देगा। शास्त्रों में ऐसे ग्रहण की विवेचना करना आवश्यक नहीं है। अतः इसके सूतक आदि मान्य नहीं होंगे। इसके निमित्त कोई दान-पुण्य भी आवश्यक नहीं है। यह चन्द्रमा की एक खगोलीय घटना मात्र है।
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि जब पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच में आ जाती है, तो चंद्रग्रहण होता है। साल 2023 का पहला चंद्र ग्रहण 5 मई को होगा। यह चंद्र ग्रहण उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। यानी चंद्रमा पर पड़ने वाली पृथ्वी की छाया की भी एक और छाया होने से यह धुंधला नजर आएगा। इसलिए इसका धार्मिक महत्व नहीं रहेगा।
चन्द्रग्रहण यहां आएगा नजर
सम्पूर्ण एशिया महाद्वीप, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, हिन्द महासागर, यूरोप, अंटार्कटिका, प्रशांत, अटलांटिक आदि में चन्द्रग्रहण होगा।
क्या होता है उपच्छाया चंद्र ग्रहण
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि जब चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया सिर्फ एक तरफ से होती है तो उपच्छाया चंद्र ग्रहण होता है। चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया न पड़कर उपच्छाया मात्र पड़ती है यानी धुंधलवी सी छाया पड़ती हैं। इस अवस्था में चंद्र ग्रहण अपने पूर्ण आकार में ही नजर आता है, बस थोड़ा सा धुंधला नजर आता है।