2009 की बात करें तो उस समय 715 टेंडर वोट डाले गए थे। मतदान अधिकारी को भी फर्जी मतदान का पता तब चला, जब वाास्तविक मतदाता आवश्यक दस्तावेज व फोटोयुक्त पहचान पत्र लेकर मतदान के लिए पहुंचा। ऐसे में मौजूद सूची में मतदाता के नाम के आगे मतदान किया हुआ का चिह्न अंकित था। इस दौरान जब मतदान अधिकारी की ओर से मतदाताओं को बताया गया कि उनका मतदान तो हो चुका है तो कुछ मतदाता वापस लौट गए तो, कुछ मतदाता मतदान के लिए अड़ गए। ऐसे में उन्हें टेंडर वोट डलवाया गया।
अब 6 मई को शेष बची 12 लोकसभा सीट पर होने वाले मतदान को लेकर चुनाव ट्रेनिंग में ऐसे ही मतदान को लेकर पोलिंग पार्टियों को खासतौर से जानकारी दी जा रही है, साथ ही लोगों को भी जागरूक किया जा रहा है। मास्टर ट्रेनर्स पोलिंग पार्टियों को टेंडर वोट की जानकारी प्रशिक्षण में ट्रेनिंग दे रहे हैं। मतदाता गलती या इरादतन दूसरे का वोट डाल देता है तो वास्तविक मतदाता को वोट डालने का मौका मिलेगा।
यहां है 2019 पहले चरण की फर्जी मतदान की स्थिति
जोधपुर 76, चित्तौडगढ़़ 68, भीलवाड़ा 73, कोटा 44, पाली 32, अजमेर 56
2014 में सर्वाधित फर्जी मतदान वाले जिले गंगानगर 57, बारां 40, अजमेर 36, उदयपुर 38, चुरू 37, जयपुर 32, भीलवाड़ा 55, जोधपुर 32
2009 में सर्वाधित फर्जी मतदान वाले जिले
अजमेर 33, भीलवाड़ा 32, चुरू 62, दौसा 54, श्रीगंगानगर 74, हनुमानगढ़ 129, जोधपुर 50