इन चेहरों को उतारा लगातार
कांग्रेस ने दो लोकसभा चुनावों में जिन नेताओं को लगातार माैका दिया उनमें उदयपुर से रघुवीर मीणा, नागौर से ज्योति मिर्धा, जो अब भाजपा में आ चुकी हैं, उन्हें चुनाव लड़ाया। इसी तरह अलवर से जितेन्द्र सिंह ने चुनाव लड़ा। कुछ नेता ऐसे भी थे, जिन्होंने दोनों बार अलग-अलग सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा और हार गए। इनमें टोंक-सवाई माधोपुर और दौसा से नमोनारायण मीना, राजसमंद और चित्तौड़गढ़ से गोपालसिंह शेखावत को टिकट दिया। इसी तरह विधायक मुरारीलाल मीना की पत्नी सविता मीना को एक बार दौसा सीट और पूर्व सांसद बद्रीराम जाखड़ की पत्नी मुन्नी देवी को पाली और विधायक महेन्द्रजीत सिंह मालवीय की पत्नी रेशम मालवीय को बांसवाड़ा से प्रत्याशी बनाया गया था। ये भी कांग्रेस की जीत का खाता नहीं खोल सके। यहीं नहीं विधायक रहते हुए अशोक चांदना ने भीलवाड़ा सीट और कृष्णा पूनिया ने जयपुर ग्रामीण सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों ही हार गए। इनमें से कई चेहरे ऐसे भी हैं जो पूर्व में सांसद रह चुके हैं।
दोनों चुनाव में भाजपा जीती
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं 2019 के चुनाव में भाजपा को 24 सीट मिली थी, जबकि एक सीट रालोपा के खाते में गई थी। भाजपा ने गठबंधन के तहत नागौर की सीट रालोपा के लिए छोड़ दी थी।
2009 में कांग्रेस ने 20 सीटों पर की थी जीत दर्ज
कांग्रेस के लिए साल 2009 के लोकसभा चुनाव सुखद रहे थेे। जब पार्टी ने 25 में से 20 सीट जीती थी और यहीं नहीं उस वक्त केन्द्र में यूपीए सरकार में राजस्थान में प्रतिनिधित्व भी अच्छा था। राजस्थान के कई सांसद बडे विभागों के मंत्री रहे थे।