भाजपाः जहां मुकाबला तय वहां सक्रिय हुई पार्टी
भाजपा ने राजस्थान में 25 लोकसभा सीट में से पन्द्रह पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। बाकी 10 सीटों पर हफ्तेभर में कभी भी प्रत्याशी घोषित हो सकते हैं। बताया जा रहा है कि पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक अगले तीन से चार दिन में होगी। इसमें राजस्थान की बाकी सीटों पर भी मुहर लग सकती है। इनमें अजमेर, भीलवाड़ा, दौसा, गंगानगर, जयपुर शहर, जयपुर ग्रामीण, झुंझुनूं, करौली-धौलपुर, टोंक-सवाईमाधोपुर सीट शामिल हैं।
उधर, कांग्रेस की पहली सूची के बाद प्रदेश में 8 सीट पर भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों के आमने-सामने की स्थिति साफ हो गई है। इन आठ सीट पर भाजपा ने प्रत्याशियों को सक्रिय होने के लिए कहा है। विशेष रूप से चूरू और अलवर सीट को लेकर पार्टी का ज्यादा फोकस है। अजमेर और झुंझुनूं सीट से मौजूदा सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़वाया गया था, लेकिन वे हार गए थे। दोनों सीट पर नए प्रत्याशी उतारने की चर्चा है। जबकि, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के प्रदेश सरकार में मंत्री बनने के बाद जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट खाली है। वहीं, टोंक-सवाईमाधोपुर और और करौली-धौलपुर सीट को लेकर भी पार्टी फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रही है। कांग्रेस से हाल ही भाजपा में शामिल हुए नेताओं के नामों पर भी मंथन चल रहा है।
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कांग्रेसः प्रदेश व केन्द्रीय नेता दूसरे दलों के संपर्क में
लोकसभा की 10 सीटों पर प्रत्याशी घोषित होने के बाद शेष शेष बची 15 सीटों पर कांग्रेस में प्रत्याशी चयन को लेकर मशक्कत तेज हो गई है। पार्टी में शीर्ष स्तर पर प्रत्याशी चयन को लेकर मंथन चल रहा है। माना जा रहा है कि अब होली के आसपास केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक होगी, जिसमें प्रत्याशियों के नामों पर मुहर लगेगी। जिन सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा होना बाकी है, उनमें श्रीगंगानगर, सीकर, जयपुर शहर, जयपुर ग्रामीण, दौसा, अजमेर, नागौर, पाली, जैसलमेर-बाड़मेर, डूंगरपुर-बांसवाड़ा, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा-बूंदी और बारां-झालावाड़ सीट हैं।
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इधर क्षेत्रीय दलों से गठबंधन को लेकर भी पार्टी ने कुछ लोकसभा सीटों को होल्ड पर रखा हुआ है। इन सीटों को लेकर प्रदेश व केन्द्रीय नेता दूसरे दलों के संपर्क में जुटे हैं। प्रदेश लीडरशिप जहां क्षेत्रीय दलों को एक सीट से ज्यादा देने के मूड में नहीं है, वहीं क्षेत्रीय दल दो-दो सीटों की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस ने गठबंधन के लिए नागौर, सीकर, श्रीगंगानगर और डूंगरपुर-बांसवाड़ा सीट को होल्ड पर छोड़ रखा है। कांग्रेस प्रदेश में सीपीआई (एम), रालोपा और भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) से गठबंधन की इच्छुक है। लेकिन इन दलों ने ज्यादा सीटों की डिमांड करके कांग्रेस के थिंक टैंक की परेशानी बढ़ा दी है। वहीं कांग्रेस का भी एक धड़ा क्षेत्रीय दलों से गठबंधन के पक्ष में नहीं है और अंदरखाने भी इसे लेकर विरोध हो रहा है। ऐसे में गठबंधन को लेकर कांग्रेस में अभी भी पेंच फंसा हुआ है।