जयपुर

टैक्स टेरर: 42.39 का पेट्रोल 109 और 58 रुपए की व्हिस्की 465 में

पेट्रोल-डीजल महंगे नहीं हैं बल्कि वैट, सरचार्ज व सेस जुडऩे के कारण ढाई गुना से ज्यादा महंगे होकर आम आदमी तक पहुंच रहे हैं। आबकारी शुल्क, सेस व सरचार्ज शराब के दाम को लागत का 7-8 गुना तक कर रहे हैं।

जयपुरAug 02, 2021 / 05:46 pm

Kamlesh Sharma

पेट्रोल-डीजल महंगे नहीं हैं बल्कि वैट, सरचार्ज व सेस जुडऩे के कारण ढाई गुना से ज्यादा महंगे होकर आम आदमी तक पहुंच रहे हैं। आबकारी शुल्क, सेस व सरचार्ज शराब के दाम को लागत का 7-8 गुना तक कर रहे हैं।

शैलेन्द्र अग्रवाल/जयपुर। पेट्रोल-डीजल महंगे नहीं हैं बल्कि वैट, सरचार्ज व सेस जुडऩे के कारण ढाई गुना से ज्यादा महंगे होकर आम आदमी तक पहुंच रहे हैं। आबकारी शुल्क, सेस व सरचार्ज शराब के दाम को लागत का 7-8 गुना तक कर रहे हैं। शराब पर राजस्थान में सबसे अधिक टैक्स बताया जाता है जबकि पेट्रोल-डीजल पर वैट में महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश ही हमसे आगे हैं। तरह-तरह के शुल्क और सेस के कारण यहां बिजली पड़ोसी राज्यों से महंगी है। स्टाम्प शुल्क जितना है उसका एक तिहाई सरचार्ज व सेस देना पड़ता है।
टैक्स, सरचार्ज व सेस के कारण यहां 42 रुपए 39 पैसे लीटर के पेट्रोल के लिए 66 रुपए 32 पैसे और 43 रुपए 15 पैसे लीटर के डीजल के लिए 55 रुपए 87 पैसे ज्यादा देने पड़ रहे हैं। इसी तरह 750 एमएल की 58 रुपए 33 पैसे की व्हिस्की की बोतल के भी 406 रुपए 67 पैसे ज्यादा चुकाने पड़ते हैं। टैक्स व सेस के कारण घरेलू बिजली भी प्रति यूनिट सवा रुपए महंगी मिल रही है।
टैक्स, सरचार्ज व सेस अधिक होने की शिकायत आम आदमी को ही नहीं, बल्कि पर्यटन और उद्योगों को भी है। उधर, स्टांप शुल्क अधिक होने से बिना रजिस्ट्री केवल एग्रीमेंट से सम्पत्तियों के मालिक बदल रहे हैं, जो मुकदमों को घर ला रहे हैं। डीजल-पेट्रोल पर वैट अधिक होने से कई जिलों का टैक्स पड़ोसी राज्यों की झोली भरता है, आबकारी शुल्क के कारण यही हाल शराब का है। अवैध शराब जान से खेल रही है, कई बार इसके मिलावटी होने के मामले सामने आए हैं। बिजली व स्टाम्प ड्यूटी की चोरी में तो प्रदेश में नेता-अफसर तक फंसते रहे हैं।
राजस्थान में सरचार्ज व सेस की भरमार
शराब, पेट्रोल-डीजल, बिजली और स्टाम्प पर टैक्स व उपकर हर राज्य में अलग हैं। राजस्थान में वैट, आबकारी शुल्क, विद्युत शुल्क, स्टाम्प शुल्क अन्य राज्यों से ज्यादा है। यहां सरचार्ज व सेस की भी भरमार है।
आम आदमी की जेब ढीली, विभागों में गड़बड़झाला
पड़ताल में सामने आया कि आम आदमी सरचार्ज व सेस दे रहा है लेकिन यह राशि जहां खर्च होनी है वहां पहुंच ही नहीं रही। इससे सेस-सरचार्ज का विकास में उपयोग नहीं हो रहा। नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक सरचार्ज व सेस के संबंधित फंड में ट्रांसफर नहीं होने और मनमाने उपयोग पर लगातार सवाल उठा रहे हैं। जन लेखा समिति ने भी पड़ताल की होगी लेकिन खजाना तेजी से भरने के बजाय जनता पर टैक्स की मार बढ़ रही है।
डीजल से 53.62 रुपए व पेट्रोल से 62.78 रुपए खजाने में
पेट्रोल और डीजल से केन्द्र और राज्य दोनों को मोटी कमाई है। केन्द्र सरकार उत्पाद शुल्क व कृषि विकास सेस के नाम से हर एक लीटर डीजल पर 31 रुपए 80 पैसे और पेट्रोल पर 32 रुपए 90 पैसे लेती है, वहीं राज्य सरकार वैट और सडकों के विकास के नाम से एक लीटर डीजल पर 21 रुपए 82 पैसे और पेट्रोल पर 29 रुपए 88 पैसे लेती है।
पेट्रोल पर वैट में राज्य तीसरे नंबर पर
पेट्रोल पर वैट में महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के बाद प्रदेश का देश में तीसरा स्थान है। महाराष्ट्र में 50, मध्यप्रदेश में 43.61 प्रतिशत वैट है जबकि यहां 36 प्रतिशत है। महाराष्ट्र, एमपी, ओडिशा व तेलंगाना के बाद डीजल पर वैट में राजस्थान का पांचवा नंबर है। प्रदेश में डीजल पर वैट 26 प्रतिशत है जबकि मुम्बई में सर्वाधिक 30.95, एमपी में 29.95, ओडिशा में 28 व तेलंगाना में 27 प्रतिशत है।
पेट्रोल-डीजल पर 15 राज्यों में जीरो सेस
उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक सहित 15 राज्यों में पेट्रोल व डीजल पर सेस शून्य है। इनमें छत्तीसगढ़, बिहार, हरियाणा, असम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, तेलंगाना, ओडिशा, मिजोरम, मणिपुर व अरुणाचल प्रदेश भी शामिल हैं। दिल्ली में डीजल पर तो सेस है, लेकिन पेट्रोल पर जीरो सेस है।
सेस कैसे-कैसे
– राजस्थान: शराब व स्टाम्प पर गौसंरक्षण सेस। सूखा, बाढ़, महामारी व अग्नि हादसा बचाव और चिकित्सा के लिए सरचार्ज। पेट्रोल-डीजल पर सड़क विकास, बिजली पर जल संरक्षण व नगरीय सेस।
– उत्तरप्रदेश: शराब पर 10 से 40 रुपए प्रति बोतल कोरोना सेस।
– हरियाणा: शराब पर 5 से 10 रुपए प्रति बोतल गौसंरक्षण कर।
– पंजाब: शराब पर 2 से 50 रुपए प्रति बोतल कोरोना सेस।

– ये भी: जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में रोजगार, मेघालय में प्रदूषण रोकथाम, गोवा में ग्रीन सेस।
बिजली दर (टैरिफ) की स्थिति
राज्य —— घरेलू दर (रु.) —— पानी सेस/फ्यूल सरचार्ज —— शहरी सेस

राजस्थान — 8.13 —— 49 पैसे/यूनिट —— 15 पैसे/यूनिट
मध्यप्रदेश —— 8.27 —— शून्य —— शून्य

उत्तरप्रदेश —— 6.76 — — शून्य —— शून्य
हरियाणा —— 5.65 —— 37 पैसे/यूनिट —— 12 पैसे/यूनिट
विद्युत शुल्क
राजस्थान —— 40 पैसे/यूनिट
मध्यप्रदेश —— 63 पैसे/यूनिट

रजिस्ट्री पर स्टाम्प शुल्क
राज्य —— स्टाम्प ड्यूटी —— सरचार्ज —— रजिस्ट्रेशन फीस
राजस्थान —— 6 प्रतिशत —— 1.8 प्रतिशत —— 1 प्रतिशत

मध्यप्रदेश—5 से 6 प्रतिशत —0.5 से 3.5 प्रतिशत — 3 प्रतिशत
यहां स्टाम्प ड्यूटी राजस्थान से कम
हरियाणा —— 5 से 7 प्रतिशत

दिल्ली —— 6 प्रतिशत
गुजरात —— 4.9 प्रतिशत

महाराष्ट्र —— 5 प्रतिशत
राजस्थान ने हाल ही 50 लाख तक के फ्लैट पर स्टांप ड्यूटी 6 से घटाकर 4 प्रतिशत की, जिससे यहां राजस्व बढ़ गया। इस कारण सरकार ने इसे तीन माह बढ़ाया है।
शराब पर टैक्स व सेस
राज्य —— आबकारी शुल्क —— सरचार्ज
राजस्थान —— 395.61 प्रतिशत —— 15 से 67 रुपए प्रति बोतल

पंजाब —— 20 प्रतिशत —— 2 से 50 रुपए प्रति बोतल कोरोना सेस
दिल्ली —— 25 प्रतिशत —— शून्य
महाराष्ट्र —— 65 प्रतिशत —— शून्य

राजस्थान में पेट्रोल-डीजल की दर और केंद्र-राज्य के कर
राशि —— पेट्रोल —— डीजल
मूल कीमत —— 42.39 रु. —— 43.15 रु.
केन्द्रीय कर —— 32.90 रु. —— 31.80 रु.
राज्य कर —— 29.88 रु. —— 21.82 रु.
डीलर कमीशन —— 3.54 रु. —— 2.25 रु.

उपभोक्ता कीमत —— 108.71 रु. —— 99.02 रु.

टैक्स दर तर्कसंगत होनी चाहिए। टैक्स 20 की जगह 25 हो तो चलेगा, इससे ज्यादा नहीं चल सकता। टैक्स ज्यादा होना राजनीतिक दृष्टि से भी ठीक नहीं। मेरे समय शराब में एकाधिकार खत्म कर राजस्व बढ़ाया, दरों में भी कुछ कमी की। प्रतिस्पर्धी माहौल होगा तो रिश्वत, चोरी कम हो जाएंगे। दूसरा पहलू है सरकार के लिए राजस्व जरूरी है। अब जैसे पेट्रोल-डीजल है, तो टैक्स केन्द्र सरकार का ज्यादा है। राज्य सरकार को राजस्व व टैक्स दर दोनों में संतुलन रखना चाहिए।
– श्याम एस. अग्रवाल, पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव

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