पृथ्वी दिवस की थीम
हर वर्ष पृथ्वी दिवस की एक अलग थीम होती है और उस थीम के आधार पर ही उस वर्ष उस बिंदु पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है।2007 की पृथ्वी दिवस की थीम का विषय था- संसाधनों को बचाकर इसका इस्तेमाल करना चाहिए, इस तरह आप धरती को सुरक्षित रखने में सहयोग करेंगे।
2008 की थीम थी- कृपया पेड़ों को लगाएं और धरती को बचाएं।
2009 की थीम थी- पृथ्वी को अगर सुरक्षित नहीं किया तो हम ही नहीं रहेंगे
2010 का विषय था- अधीन करना इसका अर्थ हुआ कि जो भी संसाधन हमें उपलब्ध हो रहे हैं, उसके अधीन ही रह कर संसाधनों का इस्तेमाल करें।
2011 का विषय था-हवा को स्वच्छ रखें। इसका अर्थ यह हुआ कि जो भी वायू प्रदूषण फैलाने वाले यंत्र हैं, उनको सही तरीके से इस्तेमाल करें ताकि प्रदूषण जनित हवा कम बाहर निकलें।
2012 का विषय था- पृथ्वी को जुटाना अर्थात सभी देश मिलकर पृथ्वी के समक्ष विपदा से बचने के लिए एकजुट होकर प्रयास करें।
2013 का विषय था- जलवायु का परिवर्तित होता चेहरा।
2014 का विषय था-ग्रीन सिटीज। इसका तात्पर्य शहरों को भी हरियाली से जोड़ें।
2015 का विषय था- साफ पृथ्वी और हरियाली से भरी हुई पृथ्वी।
2016 का विषय था- धरती को सुरक्षित रखने के लिए पेड़ बहुत जरूरी हैं, इसलिए इसके बचाव पर जोर देना चाहिए।
2017 में पृथ्वी दिवस की थीम थी-पर्यावरण और जलवायु साक्षरता।
2018 में विश्व पृथ्वी दिवस के लिए थीम था-प्लास्टिक प्रदूषण का अंत। हालांकि ये उद्देश्य बीते वर्षों के हैं लेकिन इन पर अब भी निरंतर प्रयास किए जाने की जरूरत है।
2019 की थीम थी : अपनी प्रजातियों का संरक्षण करें।
2020 की थीम है : क्लाइमेट चेंज : क्लाइमेट में लगातार हो रहे बदलाव के कारण लाइफ सपोर्ट सिस्टम को खतरा
2009 की थीम थी- पृथ्वी को अगर सुरक्षित नहीं किया तो हम ही नहीं रहेंगे
2010 का विषय था- अधीन करना इसका अर्थ हुआ कि जो भी संसाधन हमें उपलब्ध हो रहे हैं, उसके अधीन ही रह कर संसाधनों का इस्तेमाल करें।
2011 का विषय था-हवा को स्वच्छ रखें। इसका अर्थ यह हुआ कि जो भी वायू प्रदूषण फैलाने वाले यंत्र हैं, उनको सही तरीके से इस्तेमाल करें ताकि प्रदूषण जनित हवा कम बाहर निकलें।
2012 का विषय था- पृथ्वी को जुटाना अर्थात सभी देश मिलकर पृथ्वी के समक्ष विपदा से बचने के लिए एकजुट होकर प्रयास करें।
2013 का विषय था- जलवायु का परिवर्तित होता चेहरा।
2014 का विषय था-ग्रीन सिटीज। इसका तात्पर्य शहरों को भी हरियाली से जोड़ें।
2015 का विषय था- साफ पृथ्वी और हरियाली से भरी हुई पृथ्वी।
2016 का विषय था- धरती को सुरक्षित रखने के लिए पेड़ बहुत जरूरी हैं, इसलिए इसके बचाव पर जोर देना चाहिए।
2017 में पृथ्वी दिवस की थीम थी-पर्यावरण और जलवायु साक्षरता।
2018 में विश्व पृथ्वी दिवस के लिए थीम था-प्लास्टिक प्रदूषण का अंत। हालांकि ये उद्देश्य बीते वर्षों के हैं लेकिन इन पर अब भी निरंतर प्रयास किए जाने की जरूरत है।
2019 की थीम थी : अपनी प्रजातियों का संरक्षण करें।
2020 की थीम है : क्लाइमेट चेंज : क्लाइमेट में लगातार हो रहे बदलाव के कारण लाइफ सपोर्ट सिस्टम को खतरा
भारत में संकटग्रस्त प्रजातियां
भारत में जो जंतु प्रजातियां संकटग्रस्त हैं उनमें शेर, बाघ, सफेद तेंदुआ, गैंडा, जंगली भैंसा, गंगीय डॉलफिन, लाल पांडा, मालाबार सिवेट, कस्तूरी हिरन, संगाई हिरन, बारहसिंघा, कश्मीरी हिरन, सिंह पूंछ बंदर, नीलगिरि लंगूर, लघु पूंछ बंदर, बबून, चिंपैंजी, औरेंग ऊटैन, कछुआ, पैंगोलिन, सुनहरा सूअर, जंगली गधा, पिगमी सूअर, चित्तीदार लिनसैग, सुनहरी बिल्ली, डुगोंग, सोन चिडिय़ा, जार्डेन घोड़ा, पहाड़ी बटेर, गुलाबी सिर बत्तख, श्वेतपूंछ बत्तख, टेंगोपान, मगरमच्छ, घडिय़ाल, जलीय छिपकली, अजगर, भूरा बारहसिंघा, चौसिंघा हिरन, दलदली हिरन, मास्क हिरन, नीलगिरी हिरन शामिल हैं।छोटे प्रयास-बड़ा महत्व
आज हमारी पृथ्वी अगर रहने के काबिल है तो इसे संरक्षित रखने में उन लोगों का योगदान सर्वोपरि है, जिन्होंने इसके रखवाले बनकर अपना महती योगदान दिया है। सुंदर लाल बहुगुणा ने बरसों पहले इसके संरक्षण की महत्ता को समझते हुए चिपको आंदोलन चलाया था। आज भी कई लोग ऐसे हैं, जो धरती के रखवाले बनकर इस प्राकृतिक विरासत को संरक्षित कर रहे हैं। इनमें से कुछ लोग अब भी अपने छोटे-छोटे प्रयासों से इस दिशा में सक्रिय हैं। इंदौर की महापौर मालिनी लक्ष्मण सिंह को यह गौरव हासिल है कि उन्होंने अपने परिश्रम दृढ़ संकल्प और शहर के सफाई कर्मियों, जिन्हें अब सफाई मित्र कहा जाता है, उनके सहयोग और नगर वासियों के समर्थन से इंदौर को लगातार 3 वर्षों तक भारत का सबसे स्वच्छ शहर बनाने का कमाल कर दिखाया है। इंदौर का ट्रैचिंग ग्राउंड जिसकी गंध और वहां जलाए जाने वाले कूड़े के धुएं से कभी आस-पास की कॉलोनियों के लोगों का जीना दूभर था, आज वह पिकनिक स्थल ही नहीं नव विवाहित दंपतियों के लिए प्री-वेडिंग डेस्टिनेशन भी बन गया है। आज शहर की स्वच्छता को देखने देश-विदेश से लोग आ रहे हैं। स्वच्छता की यह सौगात हमारी पृथ्वी की सेहत को दुरुस्त रखने के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। इंदौर में सफाई रहने का परिणाम यह हुआ है कि यहां हर साल डेंगू और मलेरिया के रोगियों की संख्या धटती जा रही है। निश्चित ही मालिनी गौड़ का योगदान प्रशंसनीय है। इंदौर के प्लास्टिक सर्जन डॉक्टर प्रकाश छजलानी नि:शुल्क शल्य चिकित्सा के लिए जाने जाते हैं। लेकिन डॉक्टर छजलानी की एक पहचान यह भी है कि वह मौन रूप से पृथ्वी को हरा-भरा बनाने में अपना विशिष्ट योगदान दे रहे हैं। उनके क्लिनिक पर आने वाले मरीज जब उनसे परामर्श लेकर लौट रहा होता है तो वह उससे कहते हैं कि वह फीस की रसीद के साथ एक पौधा अवश्य ले जाए और अपने घर में उसे जरूर लगाए। अभी तक वह हजारों पौधे नि:शुल्क बांट चुके हैं, जो अनेक घरों के प्रांगण में वृक्ष बनकर पृथ्वी के संरक्षण में योगदान दे रहे हैं।
धरती बचाने को लेकर बॉलीवुड अभिनेता जैकी श्रॉफ की पहल
फिल्म अभिनेता जैकी श्रॉफ किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। हाल ही में उनकी एक नई पहचान सबके सामने आई है। वह धरती और धरती पर जीवन को बचाने में अपना योगदान मिशन के रूप में कर रहे हैं। वह रोजाना एक पौधा जरूर लगाते हैं। उन्होंने तुलसी के हजारों पौधे लगाने का काम किया है। फिल्मों के साथ ही उन्हें पौधों की बहुत अच्छी जानकारी है। हर मिलने वालों से वह पौधा खासकर एरिका पॉम और तुलसी लगाने का अनुरोध करते हैं। उनका कहना है कि लोगों को शायद पता नहीं कि सजावटी एरिका पॉम दिन और रात दोनों समय ऑक्सीजन छोड़ता है।