जयपुर

खेल-खेल में पढ़ाई…गेमिफिकेशन लर्निंग कॉन्सेप्ट अपना रहे स्कूल, रीयल लाइफ से जोड़ रहे शिक्षा को

शिक्षा के क्षेत्र में लगातार बदलाव देखने को मिल रहे हैं। बच्चों की पढ़ाई आसान बनाने के निए नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं। किताबी ज्ञान से बच्चों को बाहर निकालकर खेल से जोड़ा जा रहा है। इसके लिए गेमिफिकेशन लर्निंग कॉन्सेप्ट को अपनाया जा रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो यह पारंपरिक शिक्षा पद्धति […]

जयपुरNov 26, 2024 / 05:54 pm

Amit Pareek

शिक्षा के क्षेत्र में लगातार बदलाव देखने को मिल रहे हैं। बच्चों की पढ़ाई आसान बनाने के निए नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं। किताबी ज्ञान से बच्चों को बाहर निकालकर खेल से जोड़ा जा रहा है। इसके लिए गेमिफिकेशन लर्निंग कॉन्सेप्ट को अपनाया जा रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो यह पारंपरिक शिक्षा पद्धति से हटकर नया प्रयोग है जिसमें खेलों के तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि छात्रों का ध्यान आकर्षित किया जा सके। उनकी सीखने की प्रक्रिया को और प्रभावी बनाया जा सके। खासतौर पर प्राथमिक शिक्षा में इस प्रक्रिया को तेजी से अपनाया जा रहा है। इसके लिए स्कूल संसाधनों पर खूब खर्च कर रहे हैं। स्कूलों में प्ले जोन तैयार करवाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, जिन स्कूलों में प्ले जोन नहीं हैं वहां पर रीयल लाइफ से जोड़कर बच्चों को पढ़ाया जा रहा है।
क्या है गेमिफिकेशन लर्निंग

गेमिफिकेशन लर्निंग में शिक्षा में खेलों के तत्वों का समावेश करना है। यानी पॉइंट्स, बैजेस, लेवल्स, अवॉर्ड्स, चैलेंजेस आदि का उपयोग छात्रों को प्रेरित करने और उनकी उत्सुकता बनाए रखने के लिए किया जाता है। यह विधि बच्चों के सीखने के अनुभव को मजेदार, आकर्षक और प्रतिस्पर्धात्मक बनाती है। इससे उनका मनोबल बढ़ता है और वे अधिक प्रभावी तरीके से सीख पाते हैं। राजस्थान में विशेषकर प्राथमिक कक्षाओं में यह तरीका तेजी से अपनाया जा रहा है। छोटे बच्चों को सरल और रोचक खेलों के माध्यम से विषय पढ़ाए जा रहे हैं। इससे बच्चों को न केवल विषयों की जानकारी मिलती है, बल्कि वे अपनी सीखने की प्रक्रिया में भी मजा महसूस करते हैं। इसके अलावा, इंटरनेट और डिजिटल उपकरणों के विकास ने गेमिफिकेशन लर्निंग को और भी सशक्त बना दिया है।
इन संसाधनों का भी कर रहे उपयोग

– ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स और मोबाइल ऐप्स का उपयोग

आजकल स्कूलों में बच्चों के लिए कई ऑनलाइन गेम्स और एप्लिकेशंस का उपयोग किया जा रहा है। बच्चों को क्विज, पजल्स और ट्रिविया के माध्यम से पढ़ाते हैं। इन ऐप्स में छात्रों को अपनी पसंदीदा सामग्री पर आधारित खेल खेलने का मौका मिलता है, जिससे वे न केवल अपनी पढ़ाई को मजेदार तरीके से करते हैं, बल्कि उनकी प्रतिस्पर्धात्मक भावना भी विकसित होती है।
कक्षा में खेल आधारित शिक्षा : स्कूलों में शिक्षक बच्चों को समूहों में बांटकर खेलों के माध्यम से शिक्षा दे रहे हैं। जैसे कक्षा में प्रश्नोत्तरी, गणित की पजल्स या भाषा के खेल के माध्यम से पढ़ाई कराई जा रही है।
— यूट्यूब वीडियो और शैक्षिक चैनल्स का उपयोग : आजकल यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर बहुत से शैक्षिक चैनल्स मौजूद हैं जो गेमिफिकेशन के सिद्धांतों पर आधारित हैं। इन चैनल्स पर बच्चों के लिए आकर्षक शैक्षिक वीडियो बनाए जाते हैं, जिनमें रचनात्मक खेलों और एनिमेशन का उपयोग किया जाता है।
–रीयल-टाइम चैलेंजेस और प्रोजेक्ट्स : स्कूलों में बच्चों को रीयल-टाइम चैलेंजेस और प्रोजेक्ट्स दिए जा रहे हैं, जिनमें बच्चों को समूह में काम करने का मौका मिलता है। ये चैलेंजेस बच्चों के मानसिक विकास को बढ़ावा देते हैं और उन्हें सोचने और समस्या हल करने की क्षमता विकसित करने में मदद करते हैं।
टॉपिक एक्सपर्ट

बच्चों में बढ़ती है प्रतिस्पर्धा

बच्चों को किताबों से बाहर लाने के लिए इस कॉन्सेप्ट का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके माध्यम से बच्चों में प्रतिस्पर्धा बढ़ती है, जिससे वे अपने प्रदर्शन में सुधार करते हैं। बच्चे एक साथ खेलते हैं, जिससे टीमवर्क और सहयोग की भावना बढ़ती है। पारंपरिक शिक्षा से हटकर खेल आधारित शिक्षा बच्चों को नए तरीके से सोचने और सीखने के लिए प्रेरित करती है। जिन स्कूलों के पास संसाधन नहीं हैं वे रीयल लाइफ में काम आने वाली चीजों से ही बच्चों को सिखा रहे हैं।
डॉ. रूचिरा सोलंकी, सीईओ निजी स्कूल

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