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दरअसल, पिछले दिनों जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक और प्राथमिक ने 24 निजी विद्यालयों का अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) वापस लेने और मान्यता रद्द करने का प्रस्ताव शिक्षा विभाग को भेजा था। मान्यता रद्द होने के डर से पांच निजी विद्यालयों ने तो बच्चों को आरटीई के तहत प्रवेश दे दिया। लेकिन शेष स्कूलों पर कार्रवाई करने के बजाय शिक्षा विभाग आज तक प्रस्ताव को दबाए बैठा है।
शिक्षा से वंचित हो रहे बच्चे: प्रदेश में आरटीई के तहत चयनित बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं, वहीं शिक्षा मंत्री इस बात से अनजान है। हाल ही शिक्षा विभाग के एक कार्यक्रम में निजी विद्यालयों की मान्यता समाप्त करने के प्रस्ताव के बारे में पूछा गया तो शिक्षा मंत्री बी.डी. कल्ला बोले कि उन्हें इस प्रस्ताव की जानकारी नहीं है।
विभाग ने बरती ढिलाई: जिला शिक्षा अधिकारी ने 10 दिन पहले शिक्षा विभाग को कार्रवाई के लिए प्रस्ताव भेजा था। इतना ही नहीं, विद्यालयों की ओर से स्टे लाने की आशंका होते हुए भी विभाग ने न्यायालय में कैविएट याचिका तक दायर नहीं की। ढिलाई बरतने का नतीजा यह निकला कि नौ विद्यालय उच्च न्यायालय से स्टे ले आए हैं। ऐसे में विभाग इन पर कार्रवाई भी नहीं कर सकता। हालांकि विभाग अब अपील करने की तैयारी कर रहा है।
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हमने कार्रवाई को लेकर प्रस्ताव भेजा था। लेकिन नौ विद्यालय उच्च न्यायालय से स्टे ले आए हैं। पांच विद्यालयों ने आरटीई के तहत बच्चों को प्रवेश दे दिया है। हम न्यायालय में अपील कर रहे हैं, ताकि निजी विद्यालयों के खिलाफ कार्रवाई कर सकें। -राजेन्द्र शर्मा हंस, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक जयपुर