उल्लेखनीय है कि 12 अगस्त को वह उत्तराखण्ड के कैम्प धारूचेला से गोला बारूद व रसद सामग्री लेकर अगली पोस्ट पर जाने के लिए अन्य साथियों के साथ निकला था। अधिकारियों का कहना है कि एक कैम्प से दूसरे कैम्प में जाने के दौरान बादल फटने से वह मंगती नाला पुलिया के पास अन्य साथियों व गाड़ी व गोला बारूद सहित बह गया। पीडि़ता का आरोप है कि सेना की ओर से दर्ज मामले में गोला बारूद और गाडिय़ों का कोई जिक्र नहीं है। रेखा कंवर ने बताया कि 12 अगस्त को शंकर से मोबाइल पर बात भी हुई थी और 14 अगस्त को अधिकारियों ने फोन से हादसे की सूचना दी। इस पर 22 अगस्त को शंकर सिंह के परिजन उत्तराखंड कैम्प पहुंचे और बादल फटने वाले स्थान का जायजा लिया, लेकिन घटनास्थल को देखने से लगा कि वहां नाला इतना बड़ा नहीं था कि वाहन उसमें बह जाए और मिले भी नहीं। 30 अगस्त को सेना मुख्यालय से अधिकारित पत्र लेफ्टीनेंट जनरल बीएस नेगी की ओर से सहायता कोष के तहत 01 लाख रुपए का चेक भी भेजा गया है। विधायक ने रक्षा
मंत्री को पत्र भेजकर मामले की जांच कराने का भरोसा दिलाया।
यह जताया संदेह
-अधिकारियों की ओर से दर्ज कराए मामले में गोला बारूद का हवाला नहीं दिया गया है।
-परिजनों की मांग पर लापता शंकर सिंह की सिम को ट्रेस नहीं कराया जा रहा।
-अधिकारियों की ओर से परिजनों पर लापता होने के संबंध में मामला दर्ज कराने के लिए बार-बार दबाव डाला जा रहा है।
-अधिकारियों की ओर से अलग-अलग तरह शंकर के लापता होने की जानकारी दी जा रही है।