पशु चिकित्सा एक्सपर्ट के मुताबिक, अभी तक ऐसी कोई स्टडी नहीं आई है, जिसमें संक्रमित मवेशी के पेशाब या गोबर में वायरस होने की बात हो. उनके अनुसार लंपी वायरस का सीधा असर गाय के दूध उत्पादन और उसके गर्भाशय पर पड़ता है. बीमारी से दूध के उत्पादन में 50% तक की कमी आ जाती है. एक्सपर्ट्स ये भी कहते हैं जो लोग संक्रमित मवेशी का ख्याल रखते है वो दूसरे मवेशियों के लिए इस वायरस का कैरियर ना बने. बेहतर यही होगा कि दूसरे स्वस्थ मवेशियों को संक्रमित मवेशी से अलग रखा जाए.
संक्रमित मवेशी का दूध पीना सेफ है?
लंपी वायरस जानवरों से इंसानों में नहीं फैलता है, इसलिए एक्सपर्ट्स के मुताबिक संक्रमित मवेशी के दूध से इंसानों को कोई खतरा नहीं है. लेकिन दूध अच्छी तरह से उबाल कर पीना चाहिए या फिर पाश्चराइज्ड दूध का इस्तेमाल करना चाहिए.
लंपी वायरस जानवरों से इंसानों में नहीं फैलता है, इसलिए एक्सपर्ट्स के मुताबिक संक्रमित मवेशी के दूध से इंसानों को कोई खतरा नहीं है. लेकिन दूध अच्छी तरह से उबाल कर पीना चाहिए या फिर पाश्चराइज्ड दूध का इस्तेमाल करना चाहिए.
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राजस्थान की सीमा से सटे गुजरात मे भी पशुओं की मौत हो रही है और वजह है लंपी बीमारी। पश्चिमी राजस्थान में बड़ी संख्या में पशुपालक हैं, जिनके परिवार का पालन दूध बेच कर ही होता है. लंपी बीमारी के चलते दुधारू पशुओं के दूध की बिक्री प्रभावित है. बीमार पशुओं के दूध को उपयोग में नहीं लिया जा रहा है. ऐसे में पशुपालकों को पशुओं की मौत का डर और परिवार पालने की भी चिंता सता रही है. साथ ही पश्चिमी राजस्थान में अधिक बारिश होने को भी लंपी के तेज़ी से फैलने का एक कारण माना जा रहा है.
राजस्थान की सीमा से सटे गुजरात मे भी पशुओं की मौत हो रही है और वजह है लंपी बीमारी। पश्चिमी राजस्थान में बड़ी संख्या में पशुपालक हैं, जिनके परिवार का पालन दूध बेच कर ही होता है. लंपी बीमारी के चलते दुधारू पशुओं के दूध की बिक्री प्रभावित है. बीमार पशुओं के दूध को उपयोग में नहीं लिया जा रहा है. ऐसे में पशुपालकों को पशुओं की मौत का डर और परिवार पालने की भी चिंता सता रही है. साथ ही पश्चिमी राजस्थान में अधिक बारिश होने को भी लंपी के तेज़ी से फैलने का एक कारण माना जा रहा है.
क्या इंसानों को भी हो सकता है लंपी?
वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन फॉर एनिमल हेल्थ के मुताबिक लंपी वायरस स्किन डिजीज जूनोटिक नहीं है. इसका मतलब है कि ये जानवरों से इंसानों में नहीं फैलती है. इसलिए इंसान लंपी वायरस से संक्रमित नहीं होते हैं. लंपी वायरस से इंसानों को खतरा नहीं है, बल्कि लंपी वायरस डिजीज के मामले में संक्रमित मवेशियों को स्वस्थ मवेशियों से अलग करने की जरूरत होती
वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन फॉर एनिमल हेल्थ के मुताबिक लंपी वायरस स्किन डिजीज जूनोटिक नहीं है. इसका मतलब है कि ये जानवरों से इंसानों में नहीं फैलती है. इसलिए इंसान लंपी वायरस से संक्रमित नहीं होते हैं. लंपी वायरस से इंसानों को खतरा नहीं है, बल्कि लंपी वायरस डिजीज के मामले में संक्रमित मवेशियों को स्वस्थ मवेशियों से अलग करने की जरूरत होती
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प्रदेश में रोज लंपी वायरस से हजारों गायों की मौत हो रही है। यूपी, मध्य प्रदेश समेत कुछ राज्यों में इसका प्रकोप सबसे ज्यादा है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक लंपी एक वायरल बीमारी है, जो संक्रमित पशुओं से अन्य पशुओं में बेहद तेजी से फैलती है। राजस्थान के बाड़मेर में इसका सबसे ज्यादा कहर बताया जा रहा है. इसके अलावा जैसलमेर, जालौर, पाली, सिरोही, नागौर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, जोधपुर, चुरू, जयपुर, सीकर, झुंझुनू, उदयपुर, अजमेर में भी कई गायों में लंपी की पुष्टि हुई है साथ ही ये बीमारी गुजरात में भी फैल रही है.
प्रदेश में रोज लंपी वायरस से हजारों गायों की मौत हो रही है। यूपी, मध्य प्रदेश समेत कुछ राज्यों में इसका प्रकोप सबसे ज्यादा है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक लंपी एक वायरल बीमारी है, जो संक्रमित पशुओं से अन्य पशुओं में बेहद तेजी से फैलती है। राजस्थान के बाड़मेर में इसका सबसे ज्यादा कहर बताया जा रहा है. इसके अलावा जैसलमेर, जालौर, पाली, सिरोही, नागौर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, जोधपुर, चुरू, जयपुर, सीकर, झुंझुनू, उदयपुर, अजमेर में भी कई गायों में लंपी की पुष्टि हुई है साथ ही ये बीमारी गुजरात में भी फैल रही है.