साइमन कमीशन जब भारत आया तो उसमें कोई भारतीय नहीं था। इसके विरोध में लाहौर में लाला लाजपत राय शांतिपूर्ण जुलूस निकाल रहे थे। यह सभी को पता है कि ब्रिटिश सरकार ने लाठीचार्ज किया और लालाजी की मौत हो गई, जबकि सच्चाई यह थी कि एक आदमी लालाजी के निकट आया और उसने लालाजी पर लाठी से जानबूझकर वार किया। यानी लालाजी को विशेष तौर से निशाना बनाया गया। यह कहना है लालाजी की चौथी पीढ़ी की सदस्य श्रेया का। लालाजी की पड़पोती श्रेया (42) अपने ससुराल जयपुर में रह रही हैं। वह कहती हैं कि यह बात परिवार में अक्सर चर्चा का विषय रहती है। मुझे मेरे दादाजी ने यह बात कई बार बताई थी।
श्रेया बताती हैं कि लालाजी का परिवार लाहौर में रहता था। आजादी के वक्त तक लाहौर भारत का ही हिस्सा होने वाला था। जैसे ही खबर आई कि लाहौर पाकिस्तान का हिस्सा होने वाला है, जैसे-तैसे परिवार के लोग भारत आए। हम वहां से खाली हाथ आए। भारत आकर नए सिरे से जीवन शुरू किया। लालजी का मानना था कि केवल अहिंसा से देश को आजादी नहीं मिलेगी। दोनों तरह से संघर्ष करना पड़ेगा।
भारत कल भी महान और आज भी
श्रेया ने बताया कि लालाजी ने आर्य समाज के माध्यम से युवाओं में जागरूकता पैदा की। लालाजी युवाओं को बताते थे कि भारत महान है। ऐसा कुछ नहीं है जो भारत में नहीं है। श्रेया कहती हैं कि भारत लगातार तरक्की कर रहा है। भारत बहुत मजबूत है। हर भारतीय अपने देश पर गर्व महसूस करें।
सबसे पहले होती है भारत माता की पूजा
श्रेया बताती हैं कि लालाजी के परिवार के सदस्य देश के प्रति बहुत जागरूक हैं। घर में पूजा होती है तो सबसे पहले भारत माता की पूजा होती है। इसके बाद आगे का कार्यक्रम होता है। पारिवारिक कार्यक्रमों में बंटवारे, स्वतंत्रता आंदोलन और लालाजी के संस्मरण सुनाए जाते हैं। भगतसिंह लालाजी से प्रेरित थे। साइमन कमीशन के विरोध पर लालाजी की हत्या हुई। उसका बदला भगत सिंह ने लिया।