शेयर कारोबार में पैसा डूबा तो गैंगस्टर बनी थी अनुराधा
लेडी डॉन अनुराधा चौधरी फर्राटेदार अंग्रेजी बोलती है। उसने राजस्थान विश्वविद्यालय से बीटेक करने के अलावा एमबीए भी किए हुए है। सीकर फतेहपुर के अलफसर गांव की रहने वाली अनुराधा शुरूआत से पढ़ाई में तेज थी। अनुराधा की मां की बचपन में ही मौत हो गई थी। पिता रामदेव सरकारी नौकरी में थे। अनुराधा ने शेयर ट्रेडिंग करने वाले दीपक मिंज से प्रेम विवाह किया था। दोनों ने लोगों के लाखों रुपये ट्रेडिंग में लगवा दिए।
धंधा चौपट हुआ और लोगों के करोड़ों रुपए डूब गए। इसके बाद उसकी मुलाकात राजस्थान के गैंगस्टर आनंदपाल से हुई। शेयर ट्रेडिंग के कारोबार में घाटा होने के बाद वह राजस्थान के कुख्यात गैंगस्टर आनंद पाल के संपर्क में आई और करीब 10 साल पहले उसने बकायदा गैंग में शामिल होने का ऐलान कर दिया। आनंद पाल के रहते वह उसके बेहद नजदीक रही। गैंग के लगभग सभी महत्वपूर्ण फैसले लेती थी अनुराधा लेकिन उसके बाद आनंदपाल पर शिकंजा कसने लगा।
पुलिस का दबाव बढ़ा तो भागी
2017 में राजस्थान पुलिस ने आनंद पाल को मुठभेड़ में ढेर कर दिया। इसके बाद पूरी तरह से लेडी डॉन ने गैंग की कमान संभाल ली। लेकिन आनंदपाल के एनकाउंटर के बाद पुलिस लगातार उसके गुर्गों को दबोचने लगी तो इस दबाव के बीच वह कुछ समय के लिए भूमिगत हो गई और उसके बाद प्रदेश छोड़ दिया। इस बीच पुलिस ने आनंदपाल की लगभग पूरी गैंग खत्म कर दी और गैंग के दस से भी ज्यादा बड़े बदमाशों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे धकेल दिया।
आनंदपाल की मौत हुई तो अनुराधा लॉरेंस बिश्नोई के संपर्क में आई और दिल्ली पहुंच गई। यहीं पर उसकी मुलाकात काला जठेड़ी हुई। इसके बाद जठेड़ी भी अनुराधा का कायल हो गया। दोनों साथ में रहते थे। जठेडी की गैंग भी वह संभालने लगी और धीरे धीरे दोनो लिव इन में रहने लगे। पिछले कुछ समय से जब दिल्ली पुलिस की सख्ती शुरु हुई और पहलवान सुशील कुमार का केस सामने आया तो काला जठेडी की तलाश तेज कर दी गई। इस पर अनुराधा ने काला जठेडी को सरदार बनकर रहने का सुझाव दिया और दोनो कई राज्यों में सरदार दम्पत्ति बनकर ही घुमने और ठहरने लगे। लेकिन दिल्ली पुलिस ने दोनो को गिरफ्तार कर ही लिया। ए के 47 चलाने में माहिर अनुराधा के पास से पुलिस को कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं।