कहां मिलती है ये चूड़ियां
जयपुर के परकोटे के त्रिपोलिया बाज़ार में “मनिहारों का रास्ता” नाम की जगह है जहां चूड़ी बनाने वाला मनिहार समुदाय रहता है। जयपुर के ये प्रसिद्ध कारीगर लाख से सुंदर चूड़ियां बनाते है। एक समय में लाख से चूड़ियां बनाने की कला को जयपुर के शाही राज घराने का संरक्षण प्राप्त था। आज भी लाख चूड़ियां शहर की शानदार हस्तकला का नमूना मानी जाती हैं।
जयपुर के बाद सबसे बड़ी लाख के चूड़े की व्यापार मंडी
लाख की चूड़ियों का सर्वादिक व्यापार जयपुर के बाद करौली में देखा जाता है। चूड़े बनाने और इन पर नगीने लगाने से लेकर बिक्री तक के काम में ज़्यादातर कई समुदाय के लोग जुड़े हुए है और यहीं उनका पुश्तैनी व्यापार है।
ग्राहकों से रोशन है जयपुर का चूड़ी बाजार
एक अरसा पहले चंद रुपयों में मिलने वाले कड़ों की कीमतें कच्चे माल की कीमतों में आई तेजी केे चलते भले ही महंगी हो गई हों लेकिन जयपुर में बनने वाली लाख की चूड़ियों के लिए इन दिनों स्थानीय सहित बाहर से भी खरीदार आने लगे हैं। चूंकि शादियों और त्योहारों का सीजन है इसलिए महिलाओं में लाख से बनने वाली चूड़ियों की बेहद डिमांड है। नगर के चांदपोल बाजार और नाहरगढ़ रोड पर मार्केट पर महिलाओं का जमावड़ा लगा रहा है।
कारीगरों का दैनिक वेतन
अगर हम 2014 से 2022 के आंकड़ों पर गौर करें तो पुरुषों और महिलाओं के दैनिक वेतन में जबरदस्त वृद्धि देखी जा सकती है। इन आंकड़ों के आधार पर कोई भी आसानी से निष्कर्ष निकाल सकता है कि वैश्वीकरण और चीजों के विकास के साथ यह क्षेत्र भी विकसित हुआ है।
व्यापारियों के प्रतिदिन और माह के अनुसार दैनिक आय कुछ इस प्रकार है –
रोज़ाना कारीगरों की आय
कुशल: 276
अकुशल: 252
अर्धकुशल: 264
कैसे होता है लाख इस्तेमाल
लाख का इस्तेमाल श्रृंगार सामग्री में ही नहीं बल्कि हैंडीक्राफ्ट, मूर्तियाँ, गोलियाँ, सजावट की वस्तुएं, फर्नीचर पॉलिश सहित अनेकों जगह होता है। राजस्थानी परंपराओं के मुताबिक़ लाख के चूड़ों के बिना शादी नहीं होती और ये इन रस्मों में अलग ही महत्व रखती है।
लाख का कैसे होता है उत्पादन
भारत लाख का सर्वाधिक उत्पादन करने वाला देश है। कुछ राज्यों में लाख पैदा होती है, लेकिन सर्वाधिक खपत राजस्थान में ही होती है। लाख, कीटों से उत्पन्न होता है। कीटों को लाख कीट, या लैसिफर लाक्का कहा जाता हैं। लाख कीट कुछ पेड़ों पर पनपता है, जो भारत, बर्मा, इंडोनेशिया तथा थाइलैंड में उपजते हैं।