बोरवेल में फंसी तीन साल की चेतना करीब 18 घंटे से भूखी-प्यासी है। बोरवेल की चौड़ाई कम होने से वह हिलढुल नहीं पा रही है। बच्ची को निकालने के लिए रात में दो बार को देसी जुगाड़ का सहारा लिया गया। लेकिन, सफलता नहीं मिल पाई।
अब तीसरी बार प्रयास में जुटी टीम
बताया जा रहा है कि अब बच्ची के कपड़ों में हुक फंसाकर उसे बोरवेल से बाहर निकालने की कोशिश की जाएगी। इसके लिए प्रशासन ने बच्ची के परिजनों से परमिशन मांगी है। क्योंकि ऐसा करने से बच्ची के चोटिल होने की आंशका है। बोरवेल की चौड़ाई कम होने के कारण भी रेस्क्यू में थोड़ी परेशानी आ रही है।बोरवेल की चौडाई कम, बच्ची भूखी प्यासी
सीसीटीवी कैमरे के अनुसार बालिका बोरवेल में सिर के बल गिरी हुुुई है। इससे उसको ऑक्सीजन आपूर्ति में भी परेशानी हो रही थी। बोरवेल की चौडाई कम होने से उसके मूवमेन्ट की भी कोई गुंजाइश नहीं थी। बालिका को खाने-पीने की व्यवस्था भी नही हो सकी। ऐसे में बच्ची भूखी प्यासी है।जुगाड़ का लिया सहारा
बांदीकुई व दौसा में बोरवेल में गिरने वालों को बाहर निकालने का रेस्क्यू ऑपरेशन करने वाले तीन युवकों को भी एसडीआरएफ की टीम अपने साथ लेकर पहुंची। टीम में शामिल जगमाल, नाथूराम व बलराम को बोरवेल में गिरी मोटर बाहर निकालने का अनुभव है। इन्होंने लोहे की रिंग बनाकर सरियों की सहायता से रिंग को नीचे बोरवेल में उतारा। लेकिन, अभी सफलता नहीं मिली है।बालिका की मां व परिजनों की फूटी रुलाई
बालिका के बोरवेल में गिरने की जानकारी होने व बोरवेल से उसकी आवाज नहीं सुनाई देने पर उसकी माता व परिजनों की रूलाई फूट पड़ी। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया। परिजनों के अलावा ग्रामीण बालिका सुरक्षित जिदंगी के लिए प्रार्थना करते रहे।यह भी पढ़ें
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खेल-खेल में बोरवेल में गिर गई थी बच्ची
बता दें कि सरूण्ड थाने के ग्राम किरतपुरा की ढाणी बडियाली वाली में सोमवार दोपहर करीब 2 बजे खेल-खेल में तीन वर्षीय बालिका खुले बोरवेल में 150 फीट नीचे गिर गई थी। यह भी पढ़ें