जयपुर को बसाने वाले सवाई जयसिंह ने जयपुर को भी सवाया बनाया। शतरंज बिछात के आकार में आठ चौकडि़यां होनी चाहिए लेकिन नगर की बसावट को सवाया बनाने के लिए आठ के बजाय नौ चौकडि़यां बसाई गईं।
चांदपोल से सूरजपोल दरवाजे की लम्बाई दो मील के बजाय 40 गज ज्यादा रखी गई। सड़कों की चौड़ाई को भी सवाया रखा गया और वास्तु के अनुसार अष्ठ सिद्धि व नव निधि से पूर्ण नगर बसाया। सवाई जयसिंह को सवाई का अलंकरण मुगल बादशाह औरंगजेब ने उनकी निर्भीकता और वाक चातुर्यता से प्रभावित होकर दिया था।
हुआ यूं कि वर्ष 1700 में आमेर नरेश विष्णु सिंह की काबुल में मृत्यु होन के बाद उनके पुत्र जयसिंह को बारह साल की उम्र में राजगद्दी पर बैठाया गया। पदभार ग्रहण करने के बाद सामंतों और मंत्रियों की सलाह से जयसिंह कछवाहा सेना को लेकर औरंगजेब से मिलने औरंगाबाद की एक दरगाह में पहुंचा। जयसिंह ने दोनों हाथ उठाकर औरंगजेब को सलाम किया।
बादशाह ने जयसिंह को पास बुलाया और सलाम के लिए उठे दोनों हाथों को कसकर पकड़ लिया। झूंठा गुस्सा करते हुए बादशाह ने कहा ‘बोल… जयसिंह तू अब हाथ छुड़ाने के लिए क्या करेगा। इस पर जयसिंह ने कहा ..बादशाह सलामत मुझे तो लगता है कि आज से मेरी तकदीर बदल गई है। सुनते हैं कि बादशाह जिसका एक हाथ पकड़ ले तो वह सर्वोपरि हो जाता है। आपने तो मेरे दोनों हाथ पकड़े हैं। अब तो मैं आपका सबसे ज्यादा अजीज हो गया हूं।
जयसिंह का जवाब सुन खुश हुए बादशाह ने उसके हाथ छोड़ दिए और शाही फरमान में लिखा कि ..आमेर के मिर्जा राजा मानसिंह के वंश में जयसिंह उनसे भी सवाया हैं। औरंगजेब ने जयसिंह को आमेर का राजा बनाने पर मुहर लगाई। जयपुर फाउंडेशन के संस्थापक सियाशरण लश्करी के अनुसार बादशाह ने कहा कि ..जयसिंह उम्र से तो बालवय है, लेकिन इसकी बुद्धि और स्वभाव समझदार बुजुर्ग जैसा है। इसलिए अब यह सवाई जयसिंह के नाम से जाना जाएगा। सवाई का अलंकरण देने के बाद औरंगजेब ने सवाई जयसिंह को दो हजारी जात का राजा और दो हजार सैनिक सवारों का मनसब दिया और खेलना का दुर्ग जीतने के लिए भेजा। जयसिंह ने 14 सेनाओं के साथ खेलना के शक्तिशाली दुर्ग को पांच दिन के युद्ध में विजय कर लिया।
इतिहासकार हनुमान शर्मा ने लिखा कि औरंगजेब ने जयसिंह के दोनों हाथ पकड़ लिए तब जयसिंह ने बादशाह को कहा… जब एक हाथ पकड़ी औरत जीवन भर साथ निभाती है। आपने मेरे दोनों हाथों को पकड़ कर मेरे भाग्य को बदल दिया है। बाद में बादशाह फर्खुशियर ने सवाई जयसिंह को महाराजाधिराज का सम्मान दिया। सवाई का खिताब मिलने के बाद कछवाहा राज्य के चौकोर पंचरंगा झंडे को भी सवाया झंडा कर दिया।
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