राष्ट्रीय जनतांत्रिक पार्टी को छोड़कर जब किरोड़ी ने भाजपा का दामन थामा, तब कार्यकर्ता यही कहते रहे कि अब किरोड़ी शांतिपूर्ण तरीके से अपना समय निकालेंगे। लेकिन उनकी यह सोच गलत निकली। पिछले साल से किरोड़ी ने सक्रिय होकर अपने उसी रूप का अहसास कराया है, जिसके लिए वो जाने जाते हैं। कई मसलों में किरोड़ी ने धरना—प्रदर्शन कर सरकार को प्रशासन को झुकने के लिए मजबूर कर दिया। मगर रीट भर्ती परीक्षा मामले को उजागर करके उन्होंने भ्रष्टाचार की परतों को खोलकर रख दिया है। मगर उनकी संगठन से दूरी सभी को परेशान कर रही थी। कोई भी मामला हो किरोड़ी ने संगठन से अलग होकर ही अपना आंदोलन चलाया। रीट मामले में भी उन्होंने संगठन का कोई सहारा नहीं लिया। यह जरूर है कि किरोड़ी के मामला उठाने के बाद भाजपा नेता भी सक्रिय हुए और प्रदेशभर में मुहिम चलाई। मगर भाजपा के हल्ला बोल कार्यक्रम में किरोड़ी के शामिल होने के बाद चर्चाओं का दौर तेज हो गया है कि अब किरोड़ी संगठन की राह चलेंगे। किरोड़ी ने ना केवल सभा को संबोधित किया, बल्कि प्रदर्शन में भी पुलिस से जा टकराए।
प्रभारी के फोन पर प्रदर्शन में शामिल हुए किरोड़ी पार्टी सूत्रों की मानें तो प्रभारी अरुण सिंह सहित कई नेताओं के फोन करने के बाद ही किरोड़ी प्रदर्शन में शामिल हुए। यही नहीं उन्होंने अरुण सिंह से अलग से वार्ता भी की। इस दौरान सतीश पूनियां, अरुण चतुर्वेदी सरीखे नेता भी शामिल रहे। इसके बाद किरोड़ी ने भी अपने भाषण में कहा कि उनके पास जितने भी साक्ष्य हैं उन्हें वे नेता प्रतिपक्ष को उपलब्ध करवा देंगे, ताकि वो सदन में मामले को प्रभावी रूप से उठा सकें।