दरअसल, यह कमेटी अगस्त 2021 में बनाई गई थी, जिस पर तत्कालीन सरकार ने रिपोर्ट लागू करने का दावा किया। कर्मचारी लंबे समय से रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग कर रहे थे। हाल ही में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के बजट पूर्व संवाद के समय भी कर्मचारियों ने रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग को प्रमुखता से उठाया था।
बताते चलें कि कमेटी को एनपीएस के विकल्प के संबंध में भी सिफारिश देनी थी, लेकिन सरकार ने अपने स्तर पर ही एनपीएस के स्थान पर ओपीएस लागू करने का निर्णय ले लिया।
कॉमन सिफारिशें लागू, विभागीय मुद्दे बाकी
जानकारी में आया है कि राज्य सरकार ने सभी विभागों से संबंधित कॉमन सिफारिशों को तो लागू कर दिया, लेकिन विभागों के स्तर पर लागू होने वाली सिफारिशों की क्रियान्वित अभी बाकी हैं।
रिपोर्ट में कर्मचारियों के लिए कुछ नहीं
कर्मचारी महासंघ (एकीकृत) के अध्यक्ष गजेन्द्र सिंह ने कहा कि पहले सांवत कमेटी फिर खेमराज कमेटी, कर्मचारी संगठनों ने इसमें बड़े उत्साह के साथ ज्ञापन दिए लेकिन रिपोर्ट आने पर पता लगा कि इसमें कर्मचारियों के लिए कुछ भी नहीं है। लाखों का खर्च जनता के पैसे का दुरुपयोग सिद्ध हुआ है।
वहीं, राजस्थान पंचायती राज कर्मचारी संघ के प्रदेश प्रवक्ता नारायण सिंह ने कहा कि रिपोर्ट में कर्मचारियों के लिए ज्यादा कुछ नहीं है। सरकार ने रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी है, लेकिन कमेटी गठित कर उसकी सिफारिशों को लागू नहीं करना समय बर्बाद करना है। सरकार अब यह बताए कि कमेटी की बाकी रह गई सिफारिशों को कब तक लागू कर दिया जाएगा।
खेमराज कमेटी में शामिल थे-
अध्यक्ष- खेमराज चौधरी, सदस्य विनोद पण्ड्या, सदस्य सचिव- वित्त विभाग के संयुक्त सचिव (नियम)
कमेटी बनी-1 नवम्बर 21, अंतरिम रिपोर्ट दी- 2 फरवरी 22, अंतिम रिपोर्ट दी- 31 दिसम्बर 22
कमेटी की बैठक: 176, विषय: 6ठे व 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरुप वेतनमान लागू होने के बाद उत्पन्न विसंगति
वे सिफारिशें जो कॉमन मुद्दों से संबंधित हैं-
1. वेतन स्थिरीकरण अगले उच्च पद पर किया जाए
2. वार्षिक वेतन वृद्धि एक जनवरी या एक जुलाई से दी जाए
3. शेष सिफारिशें विभागवार कर्मचारियों-अधिकारियों के संबंध में थी