पदयात्रा के साथ इसका निशान चढ़ाने का भी संकल्प भी अनवरत जारी था। लेकिन अब इस कलयुग की मीरा की मौत हो चुकी है। दरअसल यह पदयात्रा करते हुए निशान लेकर खाटू जा रही थी। इसी दौरान एक कार ने इसे टक्कर मार दी। ऐसे में आरती की मौके पर ही मौत हो गई।
आरती ने 2 साल पहले काफी सुर्खियां बटोरी क्योंकि उसने एक संकल्प लिया था कि वह देवउठनी एकादशी तक बाबा के दर पर 5100 ध्वज चढ़ाएगी। वह अपना संकल्प पूरा करने के लिए ही खाटू आई थी। आरती कभी 21 तो कभी 51 निशान लेकर बाबा श्याम के दर पर आती थी। आरती ने इन सालों के दौरान 25000 से भी ज्यादा निशान खाटू के दरबार में चढ़ाए थे।
आरती ने 2012 में जवाहरलाल नेहरू हॉस्पिटल अजमेर में नौकरी करना शुरू किया। लेकिन अच्छी खासी नौकरी को छोड़कर उसने भगवान की भक्ति को चुना। आरती इतनी लोकप्रिय हो चुकी थी कि निशान चढ़ाने के बाद जब वह वापस जाती तो कोई उससे किराया तक नहीं लेता। इतना ही नहीं लोग उसके रहने खाने की व्यवस्था भी निशुल्क ही करते थे।