चारदीवारी सहित टोंकरोड, राजापार्क, सांगानेर, मानसरोवर सहित अन्य जगहों पर महिलाएं मेहंदी रचाने और दोपहर में ब्यूटी पार्लर में शृंगार करवाने में व्यस्त रही। पहली करवा चौथ करने वाली युवतियों का उत्साह देखते ही बना। इधर सितारों की तरह शहर के कई लोग अपनी पत्नी के साथ दिनभर निर्जला रहकर व्रत में पूरा साथ दे रहे हैं। परिवार में संस्कारों का निर्वहन हो इसके लिए रिश्ते की अहमियत भी बता रहे हैं ताकि यह दिन यादगार और एक दूसरे के साथ रहकर मनाया जा सके।
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प्राचीन मान्यता
ज्योतिषाचार्य पं.पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि महाभारत काल में भगवान कृष्ण ने अर्जुन की रक्षा के लिए द्रोपदी से चौथ का व्रत करवाया था। तब ही से करवा चौथ की परंपरा चली आ रही है। चंद्र का स्थान नेत्रों के बीच माना गया है। यही केंद्र बिंदु प्रेम भाव का भी है। इसलिए जीवन साथी के प्रति प्रेम भाव बढ़ाने में चंद्र दर्शन का बड़ा महत्व है। करवा चौथ को कर्क चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। चतुर्थी का चंद्रमा अमृत कुंड माना गया है। इसी का प्रतीकात्मक रूप मिट्टी का करवा है, जिससे जल ग्रहण करना एक प्रकार से विवाहित जीवन में प्रणय रूपी अमृत पान है।टॉपिक एक्सपर्ट..
आधुनिक समाज हो या प्राचीन मान्यताओं वाला समाज, नारी में समर्पण का भाव हमेशा रहा है। बदलते परिवेश में पाश्चात्य संस्कृति का प्रचलन ज्यादा होने पर पति भी इस व्रत को रखने लगे हैं। पति भी अपनी पत्नियों के लिए इस उपवास का पालन करते हैं बल्कि इस व्रत के प्रभाव से रिश्ते में मिठास बढ़ती है। साथ ही वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है। पति भी अपनी पत्नियों के लिए समान भावना रखते हैं। ऐसे में वे भी इस व्रत का पालन करते हैं। यह व्रत नारी शक्ति और उसकी क्षमताओं का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। जिन घरों में आज भी वैदिक विधि-विधान एवं संस्कारों का पालन किया जाता है, वहां पति-पत्नी के बीच समर्पण का भाव देखा जाता है।
मानसरोवर गणपतपुरा निवासी 61 वर्षीय रामलाल चौपड़ा ने बताया कि वे भी अपनी पत्नी शिमला देवी चौपड़ा के लिए व्रत रखते हैं। पत्नी अब भी सुबह से पूजा अर्चना में व्यस्त रहती है। बड़ी खुशी होती है एक-दूसरे के लिए ऐसा करके।
वैशालीनगर नीलकंठ कॉलोनी निवासी 84 वर्षीय बनवारी लाल जगनानी ने बताया कि 88 वर्षीय पत्नी गायत्री देवी जगनानी से आज भी उतना ही प्यार है। आज की पीढ़ी रिश्तों की अहमितयत समझें। संयुक्त रूप से सभी पर्व एक साथ मनाते हैं। पोते भी अपनी पत्नी के लिए व्रत रखेंगे।
करवा चौथ चंद्रोदय का समय
चंद्रोदय का समय रात 8.07 बजेपूजा का सर्वश्रेष्ठ समय- शाम 5.50 से शाम 7.20 बजे तक
चतुर्थी की शुरुआत रविवार सुबह 6.47 से सोमवार सुबह 4.18 बजे तक यह भी पढे़ें: सर्वार्थ सिद्धि और शिव योग में मनेगी करवा चौथ, निर्जल रह कर महिलाएं रखेंगी व्रत