इस पूर्णिमा का बहुत महत्व माना जाता है। इस तिथि पर किए गए दान-पुण्य, जाप आदि का कई गुना पुण्य फल प्राप्त होता है। इसी दिन सिख धर्म के संस्थापक गुरुनानक देव की जयंती भी मनाई जाती है। मान्यता है कि कार्तिक मास की पूर्णिमा को ही भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार हुआ था।
ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई के मुताबिक आज विष्णुजी, लक्ष्मीजी के विग्रह और शिवलिंग की विधिविधान से पूजा करें। विष्णुजी को केसर, चंदन और पीले फूल चढ़ाएं। शिवलिंग का अभिषेक कर शिवजी को बिल्वपत्र अर्पित करें। दीपक जलाकर आरती करें और दूध से बने मिष्ठान्नों का भोग लगाएं। कार्तिक पूर्णिमा पर सत्यनारायण व्रत कथा सुनी जाती है।
यह दिन मां लक्ष्मी, भगवान विष्णु के साथ ही शिवजी की पूजा के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त के रूप में मान्य है। पूजा करते समय मंत्रों का जाप जरूर करें। विष्णुजी के लिए मंत्र ऊँ नमो नारायण और शिवजी के लिए मंत्र – ऊँ नम: शिवाय का जाप करते रहें। शाम को पीपल के वृक्ष व तुलसी के समक्ष दीप जलाएं और संभव हो तो नदियों—तालाबों में दीपदान करें।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर बताते हैं कि सोमवार को दोपहर 3 बजे तक पूर्णिमा तिथि रहेगी। आज सर्वार्थ सिदृधी योग भी बना हुआ है।
कार्तिक पूर्णिमा : 30 नवंबर, दिन: सोमवार
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ हुई: 29 नवंबर को दोपहर 12.48 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी: 30 नवंबर को अपरान्ह 03 बजे
कार्तिक पूर्णिमा : 30 नवंबर, दिन: सोमवार
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ हुई: 29 नवंबर को दोपहर 12.48 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी: 30 नवंबर को अपरान्ह 03 बजे