करणी सेना के संस्थापक लोकेंद्र सिंह कालवी का हार्ट अटैक से निधन
कालवी की करणी सेना के गठन से जुड़ी ऐसी कई बातें हैं जो कम प्रचारित हैं या जिनसे आमजन कम परिचित हैं। संगठन से जुड़ी ऐसी ही कुछ ख़ास बातें यहां पेश की जा रही हैं।– राजपूत नेता लोकेंद्र सिंह कालवी ने तरुण प्रताप सिंह यदुवंशी के साथ मिलकर राजपूत समुदाय को एकजुट करने के मकसद से संगठन का गठन किया था।
– करणी सेना संगठन का औपचारिक गठन 23 सितंबर 2006 को जयपुर के झोटवाड़ा में हुआ था।
– मुख्य उद्देश्य राजपूत समाज के लोगों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा सहित अन्य क्षेत्रों में जाति आधारित आरक्षण की पुरज़ोर मांग उठाना भी था।
– विधानसभा चुनावों के दौरान संगठन ने समय-समय पर राजनीतिक दलों से समाज को उचित प्रतिनिधित्व दिलाये जाने की भी मांग उठाई है।
– करणी सेना के पहले अध्यक्ष अजीत सिंह ममडोली बनाये गए थे।
– वर्ष 2008 के राजस्थान विधानसभा चुनावों में करणी सेना ने कांग्रेस पार्टी को समर्थन देने का ऐलान किया था। उस समय कालवी कांग्रेस से जुड़े थे और मामडोली चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस का टिकट चाह रहे थे।
– वक्त का पहिया आगे बढ़ा तो संस्थापक और अध्यक्ष के बीच मनमुटाव हुआ। दोनों नेताओं के बीच मतभेद के चलते संगठन गुटों में बंट गया। मामडोली ने करणी सेना छोड़ते हुए एक नया गुट बना लिया।
– मामडोली ने कालवी की करणी सेना के खिलाफ ये कहते हुए पुलिस में मामला दर्ज़ करवाया कि उन्होंने ‘श्री राजपूत करणी सेना’ के नाम से संगठन रजिस्टर्ड करवाया है।
– मामडोली के जाने के बाद कालवी ने सुखदेव सिंह गोगामेड़ी को अपने गुट का अध्यक्ष नियुक्त किया। बाद में, आरक्षण की मांगों को लेकर कालवी और गोगामेड़ी के बीच भी मतभेद पैदा हो गए।
– वर्ष 2015 में, गोगामेड़ी को आपराधिक आरोपों पर निष्कासित कर दिया गया, जिसके बाद उन्होंने खुद का गुट ‘श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना’ बना लिया।
– गोगामेड़ी के जाने के बाद कालवी ने तब महिपाल सिंह मकराना को अपने गुट का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया।
– वर्त्तमान में करणी सेना के तीन प्रमुख गुट हैं: लोकेन्द्र सिंह कालवी द्वारा गठित ‘श्री राजपूत करणी सेना’, अजीत सिंह मामडोली के नेतृत्व में ‘श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना’ और सुखदेव सिंह गोगामेड़ी के नेतृत्व में ‘श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना’