कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा पर अच्छी-खासी बढ़त के साथ जीत दर्ज की है। मोदी-शाह के नेतृत्व की मजबूत मानी जाने वाली रणनीति को शिकस्त देते हुए कांग्रेस अब कर्नाटक में सरकार बनाने जा रही है। गौरतलब है कि भाजपा या कांग्रेस को अपनी सरकार बनाने के लिए कुल 224 सीटों में से 113 सीटें लाना जरूरी था । चुनाव से पहले दोनों ही प्रमुख दल अपनी-अपनी सरकार बनने का दावा कर रहे थे।
सीएम गहलोत की ख़ुशी चरम पर
कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस को मिली जीत ने राजस्थान कांग्रेस खेमे में ख़ुशी, जोश और उत्साह का संचार कर दिया है। इस जीत को लेकर प्रदेश के नेताओं में सबसे पहली प्रतिक्रिया आई मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की। मुख्यमंत्री ने ट्वीट प्रतिक्रिया में कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस पार्टी को मिली जीत पर ख़ुशी जताई। मुख्यमंत्री ने कर्नाटक जीत में कांग्रेस के तमाम सीनियर नेताओं की भूमिका को वजह बताया। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्षों सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मौजूदा अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के अलावा पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी का नाम लेकर उनकी महत्वपूर्ण भूमिका का ज़िक्र किया।
‘सोनिया-राहुल-प्रियंका-खड़गे की भूमिका अहम’
सीएम गहलोत ने ट्वीट में लिखा, ”राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कर्नाटक में जो माहौल दिखा था, आज उसी का नतीजा कर्नाटक के चुनाव परिणाम में स्पष्ट दिख रहा है। यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी एवं प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस नेताओं ने शानदार कैंपेन किया।’
‘जनता ने सांप्रदायिक राजनीति को नकारा’
सीएम गहलोत ने भाजपा का नाम लिए बगैर विरोधियों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कर्नाटक ने सांप्रदायिक राजनीति को नकार कर विकास की राजनीति को चुना है।
‘राजस्थान में परिणाम की होगी पुनरावृति’
सीएम गहलोत ने कांग्रेस के पक्ष में आये कर्नाटक चुनाव परिणाम को लेकर आगामी चुनाव में भी जारी रहने का दावा किया। उन्होंने लिखा, ‘आने वाले राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना विधानसभा चुनाव में भी कर्नाटक चुनाव परिणाम की पुनरावृत्ति होगी।’
पूनिया ने एक सीट पर जीत की जताई ख़ुशी
भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया ने कर्नाटक में भाजपा की हार पर नहीं, बल्कि एक सीट पर मिली जीत पर प्रतिक्रिया जारी की। उन्होंने ट्वीट में लिखा, ‘परिश्रम-पुरुषार्थ के आगे चर्चाओं को नतमस्तक होना पड़ता है। Doddaballapur में युवा साथी धीरज की सेवाभावी प्रवृत्ति, कार्यकर्ताओं के परिश्रम और जनता के समर्थन से इस सीट पर विजय का आगाज इसी संकल्प को परिभाषित करता है। मेरे लिये हर्ष का विषय है कि पार्टी ने मुझे इस सीट की जिम्मेदारी सौंपी और हम कांग्रेस के इस गढ़ में कमल खिलाने में कामयाब हुए।’
कांग्रेस-भाजपा की थी प्रतिष्ठा दांव पर
कर्नाटक में भी राजस्थान की ही तरह राजनीतिक स्थितियां हैं। मुकाबला प्रमुख राजनीतिक दलों कांग्रेस और भाजपा के बीच है, जबकि ‘हंग असेम्बली’ की स्थिति में क्षेत्रीय दलों की भूमिका महत्वपूर्ण रहती है। ऐसे में कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणाम को दोनों ही प्रमुख दलों की प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा जा रहा था।
नतीजे बताएंगे ‘भविष्य’!
कर्नाटक चुनाव परिणाम में कांग्रेस का ‘क्लीन स्वीप’ भाजपा को झटका दे गया है। इस जीत से राजस्थान के कांग्रेस खेमे में ज़बरदस्त ऊर्जा का संचार होना स्वाभाविक है, जबकि भाजपा खेमे को इस परिणाम से ज़बरदस्त झटका लगा है। ऐसे में ये तय है कि कर्नाटक जैसे महत्वपूर्ण राज्य में मिली जीत और हार राजस्थान की राजनीति के ‘भविष्य’ पर गहरा असर डालेगी।
प्रचार में गए थे राजस्थान के नेता
राजस्थान के कई नेता कर्नाटक चुनाव के मद्देनज़र प्रचार अभियान में शामिल हुए थे। कांग्रेस की ओर से जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ‘ प्रचारक’ रहे, तो वहीं भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और वर्त्तमान उपनेता प्रतिपक्ष डॉ सतीश पूनिया को प्रचार अभियान में महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी दी गई थी। राजस्थान कांग्रेस-भाजपा के इन नेताओं के अलावा भी कई सीनियर नेता प्रचार अभियान में शामिल हुए और पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में वोट अपील की।
कांग्रेस घोषणा पत्र में दिखी थी राजस्थान की झलक
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान जारी हुए कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र में राजस्थान की झलक देखने को मिली थी। घोषणा पत्र में ऐसी कई स्कीम्स को शामिल किया गया जो राजस्थान की गहलोत सरकार भी राज्य में जारी रखे हुए है। बताया जाता है कि कांग्रेस घोषणा पत्र तैयार करने के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी सुझाव लिए गए थे।
राजस्थान में दिखा मुद्दों का असर
कर्नाटक चुनाव में उठे मुद्दों का असर राजस्थान में भी देखने को मिला। खासतौर से कांग्रेस के घोषणा पत्र में बजरंग दल संगठन को बैन करने का मुद्दा छाया रहा। बजरंग दल सहित विभिन्न संगठनों ने सड़कों पर उतरकर और धरने-प्रदर्शन के ज़रिये जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किया।