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Good News : राजस्थान में चीतों को अब यहां मिलेगा ‘नया ठिकाना’, जानें कहां होगा प्रदेश का 5वां टाइगर रिजर्व?

वन अधिकारियों के अनुसार राजस्थान में वर्तमान में चार टाइगर रिजर्व हैं। अब यह पांचवां टाइगर रिजर्व हो जाएगा। कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व के लिए एनटीसीए से सैद्धांतिक स्वीकृति मिल चुकी है।

जयपुरAug 23, 2023 / 09:03 am

Kirti Verma

जयपुर . सवाईमाधोपुर नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) ने करौली-धौलपुर टाइगर रिजर्व पर अंतिम मुहर लगा दी। है। वन विभाग के एसीएस शिखर अग्रवाल ने मंगलवार को ट्वीट कर इसकी पुष्टि की है। ऐसे में अब करौली व धौलपुर के जंगलों को मिलाकर प्रदेश में पांचवां टाइगर रिजर्व बनना तय है। इस संबंध में अब गजट नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। नए रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 1075 वर्ग किमी होगा। टाइगर रिजर्व से न केवल जंगल सुरक्षित होगा बल्कि पर्यटन को भी पंख लगेंगे। जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सकेगा। उधर, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने ट्वीट कर कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व की भी सैद्धांतिक स्वीकृति को लेकर जानकारी दी। इस पर राजसमंद सांसद दीया कुमारी ने कहा कि उम्मीद है कि कुंभलगढ़ जल्द टाइगर रिजर्व बन जाएगा।


टाइगर स्टेट बनने की दौड़ में राजस्थान
वन अधिकारियों के अनुसार राजस्थान में वर्तमान में चार टाइगर रिजर्व हैं। अब यह पांचवां टाइगर रिजर्व हो जाएगा। कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व के लिए एनटीसीए से सैद्धांतिक स्वीकृति मिल चुकी है। मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र की तरह राजस्थान में भी 6-6 टाइगर रिजर्व हो जाएंगे जबकि कर्नाटक में 5 हैं। मध्यप्रदेश के नौरादेही को सातवां टाइगर रिजर्व बनाने की कवायद चल रही है। गौरतलब है कि राजस्थान में बाघों का कुनबा लगातार बढ़ रहा है। वर्तमान में इनकी संख्या 120 से ज्यादा बताई जा रही है। डेढ़ माह पहले यहां 11 शावक देखे गए थे।


चीतों का बन सकता है ठिकाना
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि मध्यप्रदेश के कूनो चीता अभयारण्य से भी चीतों की आवाजाही राजस्थान की सीमा से लगते जंगल में बढ़ रही है। ऐसे में धौलपुर-करौली का जंगल टाइगर रिजर्व बनने के बाद सुरक्षित हो जाएगा। जिससे चीतों की घुसपैठ इस टाइगर रिजर्व तक बढ़ने की संभावना है।

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अभी 9 बाघ-बाघिन
करौली व धौलपुर के जंगलों में अभी कुल 9 बाघ-बाघिन हैं। इनमें 4 करौली व 5 धौलपुर में हैं। धौलपुर में तीन शावक भी बाघिन के साथ घूमते देखे गए थे। वन विभाग को इस क्षेत्र का अच्छा मैनेजमेंट करना होगा।

यहां तक होगी टेरेटरी
वन अधिकारियों के अनुसार रणथम्भौर बाघ परियोजना के लिए यह दूसरी सौगात है। क्योंकि उस परियोजना के दूसरे डिविजन करौली के कैलादेवी अभयारण्य व धौलपुर के जंगलों को मिलाकर इसे बनाया जाएगा

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